सतना के उचेहरा थाना इलाके में आदिवासी बाहुल्य गांव परसमनिया में 30 जून व 1 जुलाई 2018 की रात को आरोपी महेंद्र सिंह शराब के नशे में बच्ची के घर पहुंचा था। आरोपी कुछ देर तक बच्ची के पिता से बात करने के बाद वहां से चला गया। बच्ची के पिता जब शौच के लिए बाहर गए तब वह वापस आया और बच्ची का अपहरण कर जंगल में ले गया, जहां उसने बच्ची के साथ बलात्कार किया और उसे मृत समझकर जंगल में छोड़कर चला गया। बच्ची के पिता जब वापस आए तो बच्ची को घर में नहीं पाकर गांव में उसे तलाशने लगे। ग्रामीणों ने भी बच्ची की तलाश की, परंतु वह नहीं मिली। बच्ची दूसरे दिन सुबह जंगल में लहूलुहान हालत में मिली थी।
सतना के ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 19 सितंबर 2018 को फांसी की सजा मुकर्रर की थी। आरोपी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानते हुए फांसी की सजा पर मुहर लगाते हुए कहा कि आरोपी के शिक्षक होने के कारण उसका दायित्व था कि वह समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाए। उसने नैतिकता को नीचे दिखाने वाला घृणित कार्य किया है।