scriptदेवशयनी एकादशी: अगले 4 महीने नहीं होंगे मांगलिक कार्य, भगवान विष्णु पाताल गए शयन पर | devshani ekadashi kyo manai jati hai Vishnu Devshayani ekadashi katha | Patrika News

देवशयनी एकादशी: अगले 4 महीने नहीं होंगे मांगलिक कार्य, भगवान विष्णु पाताल गए शयन पर

locationसतनाPublished: Jul 12, 2019 07:11:06 pm

Submitted by:

suresh mishra

इस विधि से करें पूजा तो प्रसन्न होंगे विष्णु भगवान

devshani ekadashi kyo manai jati hai Vishnu Devshayani ekadashi katha

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सतना। हिन्दू धर्म में सभी (Ekadashi ) एकादशी व्रत का महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन जब देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi ) की बात आती है तो और महत्व बढ़ जाता है। पंडितों के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi ) को ही देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi ) कहते है। शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु 4 महीने के लिए पाताल लोक सोने के लिए चले जाते है इसलिए इसे देवशयनी और पदमा एकादशी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में दैत्यराज बलि से तीन पग भूमि दान के रूप में मांगी थी।
भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढक लिया। अगले पग में सम्पूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया। तीसरे पग में बलि ने अपने आप को समर्पित करते हुए सिर पर पग रखने को कहा। इस प्रकार के दान से प्रसन्न होकर भगवान ने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और कहा वर मांगो।
बलि ने मांगा ये वर
बलि ने वर मांगते हुए कहा कि भगवान आप मेरे महल में निवास करें। तब भगवान ने बलि की भक्ति को देखते हुए चार मास तक उसके महल में रहने का वरदान दिया। मान्यता है कि, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल में बलि के महल में निवास करते हैं। इस बार देवशयनी एकादशी 12 जुलाई, शुक्रवार को मनाई जा रही है।
ऐसे रखें व्रत
देवशयनी एकादशी की सुबह जल्दी उठें। पहले घर की साफ-सफाई करें, उसके बाद स्नान आदि कर शुद्ध हो जाएं। घर के पूजन स्थल अथवा किसी भी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की सोने, चांदी, तांबे अथवा पीतल की मूतिज़् स्थापित करें। इसके उसका षोडशोपचार (16 सामग्रियों से) पूजा करें। भगवान विष्णु को पीतांबर (पीला कपड़ा) अर्पित करें। व्रत की कथा सुनें।
चार माह नहीं होंगे वैवाहिक कार्यक्रम
शादी की शहनाई पर 11 जुलाई से चार माह के लिए ब्रेक लग गया है। 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी का अबूझ मुहूर्त रहा। इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर चले जाएंगे। इससे चार माह वैवाहिक सहित अन्य मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। चार माह बाद आठ नवंबर को देवोत्थानी एकादशी पर फिर से शहनाइयां बजनी शुरू हो जाएंगी।
श्री विष्णु को शयन कराएं
देवशयनी एकादशी पर आरती करने के बाद प्रसाद वितरण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दक्षिणा देकर विदा करें। अंत में सफेद चादर से ढंके गद्दे-तकिए वाले पलंग पर श्रीविष्णु को शयन कराएं तथा स्वयं धरती पर सोएं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, यदि व्रती चातुर्मास नियमों का पूर्ण रूप से पालन करे तो उसे देवशयनी एकादशी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।
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