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नगर निगम की दुकानों का स्वरूप बदल खुलवा दी शराब दुकान, नोटिस तक सीमित रहे अधिकारी

locationसतनाPublished: Jul 13, 2019 12:28:36 pm

Submitted by:

suresh mishra

दुस्साहस: कार्रवाई से उपायुक्त नगर निगम ने काटी कन्नी, निरस्त हो जानी चाहिए दुकान

Dhawari stadium Complex Liquor store Protest in satna

Dhawari stadium Complex Liquor store Protest in satna

सतना। एक पूरा मोहल्ला शराब दुकान का विरोध कर रहा, भले ही नर्सिंग का प्रशिक्षण लेने वाली छात्राओं को खिड़की खोलते ही नशे में गाली सुनने को मिले, मंदिर आने वाले लोगों को भले ही मांस और अंडे के टुकड़े से होकर गुजरना पड़े, खुली शराब की बोतले सीएमएचओ कार्यालय की बाउंड्री में फेंकी जा रही हों… पर इन सबसे आबकारी महकमे और जिम्मेदार अफसरान को कोई फर्क नहीं पड़ता। निगम की दुकान जनसामान्य उपयोगी कारोबार के लिए सशर्त आवंटित की गई है पर दुकान मालिक चंद नोटों की लालच में उसका नक्शा बदल कर शराब कारोबार के लिए दे देता है।
चंद रुपए की लालच

यह आला अधिकारियों को नजर नहीं आता। चंद रुपए की लालच में अधिकारियों के लिए यह सब मायने नहीं रखता, क्योंकि इनकी जेबों में दुकान बचाने का पारिश्रमिक समय पर पहुंच जाता है। पूरा देश किसी भवन की दूरी उसके अंतिम निर्माण सीमा से मापता है पर यहां का ईमानदार आबकारी अमला इसकी दूरी घूमकर चक्कर लगाकर सामने के गेट से नापता है।
रहमदिली दिखाकर बचाने की कोशिश

ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें समय पर शराब कारोबारी से मिलने वाले पारिश्रमिक की कीमत जो चुकानी है। यह कहना है शराब दुकान से प्रभावित होने वाले उस आम-ओ-खास का, जिसके लिए सामाजिक व्यवस्था मायने रखती है। हम बात कर रहे धवारी स्टेडियम की उस शराब दुकान की जो पूरी तरह से अवैधानिक है फिर भी इस पर अभी तक रहमदिली दिखाकर बचाने की कोशिश सरकारी अमला कर रहा है।
दुकान खाली कराने का नोटिस दिया

22 जून 2019, यह वह तारीख थी जब धवारी स्टेडियम के पास रहने वाली आबादी विशेषकर महिलाओं के लिए एक राहत भरी खबर लेकर आई थी। इस दिन नगर निगम ने आशीष त्रिपाठी पिता आरएम त्रिपाठी को धवारी स्टेडियम की दुकान खाली कराने का नोटिस दिया गया था। नोटिस निगम की ओर से इसलिए दिया गया था क्योंकि स्टेडियम की इन दुकानों को जिन शर्तों के तहत दिया गया था उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। यहां दुकान देने से पहले स्पष्ट तौर पर बताया गया था और उसकी लिखित प्रति भी दी गई थी कि इन दुकानों का न तो स्वरूप परिवर्तन करेंगे और न ही यहां आपत्तिजनक पदार्थ का भंडारण और उपयोग किया जाएगा। लेकिन, त्रिपाठी ने इस शर्तों को ताक पर रखते हुए दुकानों को शराब कारोबार के लिए किराए पर दे दिया।
यह था तत्कालीन निगमायुक्त की नोटिस में
धवारी स्टेडियम में शराब दुकान का व्यापक विरोध देखते हुए खुद तत्कालीन निगमायुक्त संदीप जीआर ने यहां का मौका मुआयना किया था। उन्होंने पाया कि शराब दुकान नियमों को ताक पर रख कर संचालित की जा रही है। इस पर निगमायुक्त ने दुकान मालिक आशीष त्रिपाठी पिता आरएम त्रिपाठी को नोटिस जारी किया। उसमें कहा गया कि जांच में पाया गया है कि आशीष त्रिपाठी खुद व्ययवसाय न कर किसी अन्य को शराब की दुकान के लिए किराए पर दे गई है। जबकि अनुबंध में स्पष्ट है कि आपत्तिजनक पदार्थ का भंडारण या उपयोग वर्जित होगा तथा यहां ऐसा कोई व्यवसाय नहीं किया जाएगा जो पास पड़ोस के लिये आपत्तिजनक हो। निगमायुक्त ने इस मामले में स्पष्ट कहा है कि यहां इन शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन दिख रहा है।
बिना अनुमति बदल दिया स्वरूप
निगम के अनुबंध में यह स्पष्ट था कि दुकान के स्वरूप में किसी प्रकार का परिवर्तन अथवा तोडफ़ोड़ बिना निगम की अनुमति के नहीं की जाएगी। धवारी स्टेडियम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में स्थित सभी दुकानों में एक रूपता रखी जाएगी तथा पुताई तक एक रूपता युक्त होगी। दुकान के सामने ओवर हैंगिंग अथवा जमीन से अतिक्रमण नहीं किया जाएगा। लेकिन यहां न केवल दुकान के स्वरूप में बदलाव किया गया बल्कि ओवर हैंगिंग सहित परिसर को प्रदूषित कर दिया गया। यहां अतिक्रमण भी पाया गया जो शर्तों के विपरीत है। साथ ही निगमायुक्त ने कहा है कि अनुबंध में स्पष्ट किया गया है कि समय समय पर दिए गए निर्देशों का पालन किया जाएगा। लेकिन यहां निर्देशों का पालन भी नहीं पाया गया।
28 की दी थी डेडलाइन
तत्कालीन निगमायुक्त ने दुकान स्वामी आशीष त्रिपाठी को दिए नोटिस में कहा था कि 28 जून तक शराब की दुकान बंद कर दें अन्यथा दुकान का आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही एच-2, एच-3, एच-4 तक बाराण्डा चारों तरफ घेर कर अतिक्रमण किया गया है, इसे भी हटाने को कहा गया था। इसके पालन की जिम्मेदारी तत्कालीन उपायुक्त सविता प्रधान को दी गई थी। लेकिन 28 जून की तारीख के बाद भी कोई स्पस्ट और संतुष्टिकारक जवाब नहीं मिला। इसके बाद भी प्रधान ने कोई कार्रवाई नहीं की
कलेक्टर को किया गुमराह
जीएनएम स्कूल ऑफ नर्सिंग से 30 मीटर और सीएमएचओ कार्यालय से 20 मीटर और मंदिर से 50 मीटर के दायरे के अंदर आने वाली शराब दुकान को बचाने के लिए आबकारी अमले ने इन भवनों के दूसरी दिशा के मुख्य द्वार से शराब दुकान की दूरी नाप कर कलेक्टर को गुमराह करने की कोशिश की है। जबकि हालात यह है कि यहां शराब दुकान के कारण ही नर्सिंग स्कूल खोलने में अधिकारी हिचक रहे हैं।

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