नागेंद्र नगर मोहल्ले की आबादी पांच सौ से अधिक है। इस आदिवासी बस्ती के हर दूसरे घर में डायरिया पीडि़त हैं। लोग पेट दर्द, उल्टी-दस्त की शिकायत दर्ज करा रहे हैं।
उल्टी-दस्त और पानी के सैंपल शनिवार को भी मैदानी अमले द्वारा कलेक्ट किए गए। सभी सैंपल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल प्रयोगशाला पहुंच गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो सभी सैंपल की जांच रिपोर्ट सोमवार शाम तक आ जाएगी। इसके बाद बीमारी की वजह का भी खुलासा हो जाएगा।
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व मंत्री व विधायक नागेंद्र सिंह के गांव में डायरिया का प्रकोप फैला है। दो की मौत और कई के नाजुक होने के बाद भी विधायक गांव हालचाल पूछने तक नहीं पहुंचे। उन्होंने अपने किसी प्रतिनिधि को भी गांव नहीं भेजा।
स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार नियंत्रण का दावा तो कर रहे हैं लेकिन डायरिया पीडि़तों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। दूसरे दिन भी एक दर्जन से अधिक पीडि़त सामने आए। इनमें लल्ला पिता विश्वराम चौधरी, सुहानी पिता संदीप कोल, लंकेश पिता राजेश, हीरा लाल पिता लालमन कोल, चांदनी पिता बिच्छू कोल की स्थिति गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर किया गया। राजा बाई पति लक्ष्मी कोल, देवा पिता रिंकु कोल, आशा पिता ददोला, नंद किशोर पिता श्याम लाल, गोकुल पिता राममोहन, गंगा प्रसाद पिता मथुरा चौधरी, बूटी बाई पति हीरालाल भी उल्टी-दस्त के शिकार मिले।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में डायरिया अचानक नहीं फैला है। 15-20 दिनों से उल्टी-दस्त पीडि़त लगातार सामने आ रहे हैं। रामादीन कोल ने बताया कि 10 से 12 दिन पहले भतीजे जुगल कोल को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई थी। उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नागौद में भर्ती कराया था। दिनों-दिन डायरिया का प्रकोप बढ़ता गया, पीडि़तों की संख्या में भी इजाफा हुआ पर कोई झांकने तक नहीं आया। 5-6 सितंबर की रात एका-एक दो दर्जन से अधिक ग्रामीण बीमार हो गए। समय पर इलाज नहीं मिलने से दो की मौत हो गई। इसके बाद टीम गांव पहुंची और खानापूर्ति का उपचार शुरू किया।
दो मौत और पीडि़तों की लगातार बढ़ती संख्या के बाद स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार नींद से जागे। गांव की प्राथमिक पाठशाला के दो कमरों को अस्थाई अस्पताल बनाया गया है। वहां चार पलंग लगवाए गए हैं। मेडिकल ऑफिसर, फॉर्मासिस्ट, एएनएम की ड्यूटी लगाई गई है। अस्थाई अस्पताल परिसर में ही तीन 108 एम्बुलेंस वाहन भी खड़े कराए गए हैं। डीएचओ डॉ. चरण सिंह, बीएमओ उचेहरा डॉ. एके राय और एमओ कुलगढ़ी मनीष मिश्रा देर रात तक पीडि़तों को इलाज व परामर्श देते रहे।
मैदानी अमले ने चिकित्सकों से कहा कि शुक्रवार को कुएं के पानी में दवा डाली गई थी। इससे शाम तक कुएं की मछलियां मर गईं। उन्हें निकालकर ग्रामीणों ने खा लिया। इसकी वजह से दूसरे दिन पीडि़त सामने आए। मैदानी अमले का तर्क सुनते ही ग्रामीण भड़क गए। कहा, कुएं की मछलियां किसी ने नहीं खाईं। सभी मछलियां निकाल कर खेत में फेंकी गई हैं, चलो दिखाते हैं। चिकित्सकों से कुछ भी क्यों बता रहे हो। गांव में 15-20 दिनों से लोग पीडि़त हैं, कोई झांकने नहीं आया।
मां ने कहा कि अनीता को शाम से उल्टी-दस्त शुरू हो गया था। रात को स्थिति गंभीर हो गई। गांव में स्वास्थ्य महकमे का कोई भी मौजूद नहीं था। ऐसे में कुलगढ़ी लेकर गए पर आराम नहीं मिला। बेटी की हालत गंभीर हो गई। वह हाथ-पैर पटकने लगी। दूसरे दिन सुबह 11 बजे दम तोड़ दिया। मां ने कहा कि गांव में घूम रहे ये लोग पहले आ जाते तो मेरी बेटी की मौत नहीं होती।
श्यामनगर के नागेंद्र नगर मोहल्ले में डायरिया से हालात बेकाबू हैं। दो लोगों की मौत के बाद भी लगातार पीडि़त सामने आ रहे हैं। ऐसे में सीएमएचओ डॉ अशोक कुमार अवधिया शनिवार से चार दिन के अवकाश पर चले गए हैं। उन्होंने गांव तक जाना भी जरूरी नहीं समझा। प्रभार जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ सत्येंद्र सिंह को सौंपा है।
दो मौत के बाद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के जिम्मेदार भी गांव पहुंचे। पीएचई ई सहित अन्य ने आदिवासी बस्ती के सभी बंद पांच हैंडपंपों का जायजा लिया। अधिकारियों के सामने ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मेंटीनेंस नहीं होने से हैंडपंप खराब हो गए। उनका बाद में भी सुधार नहीं कराया गया। इस वजह से कुएं का पानी पीना पड़ रहा है। पीएचई ई जेपी द्विवेदी ने कहा कि हैंडपंप खराब नहीं हैं। वाटर लेवल डाउन है, इसकी वजह से पानी नहीं आ रहा है। दो हैंडपंप चालू कराए गए हैं।