40 लाख रुपए का डीजल पी गए वाहन
खेत-खलिहानों में लगी आग से जहां किसानों की लाखों रुपए की फसल खाक हो गई, वहीं प्रशासन को भी आग बुझाना काफी महंगा पड़ा। बताया गया कि बीते माह अठारह दिन में आग बुझाने के लिए सोलह फायर ब्रिगेड में करीब चालीस हजार लीटर डीजल खर्च हुआ। यदि प्रति लीटर डीजल का रेट सौ रुपए भी माना जाए तो दमकल के वाहन 40 लाख का डीजल अब तक पी चुके हैं। यानी एक दमकल पर औसतन ढाई लाख का ईंधन लगा।
खेतों में ज्यादा घटनाएं
यदि आग लगने की घटनाओं पर गौर करें तो अधिकांश गेहूं के खेतों में ही हुई हैं। कहीं मकानों तो कहीं मवेशियों के ठीहों में भी आग लगी है, लेकिन वह सीमित है। फायर ब्रिगेड कर्मचारियों के अनुसार खेतों में सबसे अधिक घटनाएं हुई हैं। आग लगने की सबसे बड़ी वजह कटाई के बाद नरवाई को जलाना बताया जा रहा है। दूसरे नंबर पर शॉर्ट सर्किट बड़ा कारण बना। भीषण गर्मी में सूखी फसल में हल्की सी चिंगारी भी शोलों का काम करती है और देखते ही देखते खड़ी फसल सूख कर खाक हो जाती है, तो कभी काट कर रखी फसल भी आग की चपेट में आकर स्वाहा हो जाती है।
हर दिन डेढ़ लाख लीटर से ज्यादा पानी की जरूरत
इस सीजन में आग लगने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी होने से पानी की जमकर खपत हुई। बताया गया कि दमकल में शामिल सोलह फायर ब्रिगेड के पानी टैंकर की क्षमता चार हजार लीटर है। एक अप्रेल से जब आग लगने की घटनाएं अधिक होने लगीं तो औसतन एक फायर ब्रिगेड को रोजाना डेढ़ लाख लीटर से भी ज्यादा पानी की जरूरत हुई। सभी फायर ब्रिगेड में उनके प्वाइंट पर ही पानी भरा गया। इसके चलते वाहनों के अनावश्यक फेरे भी बढ़े और कुछ मामलों में दमकल देरी से पहुंच पाया।