धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। जबकि दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित हरीनारायण ने धनतेरस और दिवाली के लिए कुछ विशेष उपाय बताएं है। जिससे लक्ष्मी की कृपा आप सब पर बनी रहेगी और आप मालामाल रहेंगे।
ये है उपाय
1. दिवाली पर मां लक्ष्मी का कृपा पाने के लिए माता लक्ष्मी के चरणों में कौडियां रखें। ऐसा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होगी।
2. तिजोरी के दरवाजे पर महालक्ष्मी का चित्र बनाएं। चित्र ऐसा हो जिसमे मां लक्ष्मी बैठी हो। इसके साथ ही दो हाथी सूड़ उठाए नजर आए।
3. ध्यान रखें चित्र सुंदर और पौराणिक हो। ऐसा करने पर हमेशा घर में लक्ष्मी का वास रहेगा। घर में सुख-शांति मौजूद रहेगी।
4. ज्योतिष के अनुसार धन के देवता कुबेर का स्थान उत्तर दिशा की ओर बनाया गया है। इसलिए तिजोरी में नकदी रुपए उत्तर दिशा में रखें।
5. खासतौर पर धनतेरस और दिवाली पर महालक्ष्मी यंत्र का विधिवत पूजन कर स्थापना करें। धन वृद्धि के लिए यह यंत्र सबसे उपयोगी होता है।
1. दिवाली पर मां लक्ष्मी का कृपा पाने के लिए माता लक्ष्मी के चरणों में कौडियां रखें। ऐसा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होगी।
2. तिजोरी के दरवाजे पर महालक्ष्मी का चित्र बनाएं। चित्र ऐसा हो जिसमे मां लक्ष्मी बैठी हो। इसके साथ ही दो हाथी सूड़ उठाए नजर आए।
3. ध्यान रखें चित्र सुंदर और पौराणिक हो। ऐसा करने पर हमेशा घर में लक्ष्मी का वास रहेगा। घर में सुख-शांति मौजूद रहेगी।
4. ज्योतिष के अनुसार धन के देवता कुबेर का स्थान उत्तर दिशा की ओर बनाया गया है। इसलिए तिजोरी में नकदी रुपए उत्तर दिशा में रखें।
5. खासतौर पर धनतेरस और दिवाली पर महालक्ष्मी यंत्र का विधिवत पूजन कर स्थापना करें। धन वृद्धि के लिए यह यंत्र सबसे उपयोगी होता है।
बाजारों में नए कलेक्शन की धूम
सतना सहित विंध्य के बाजारों में दिवाली के मददेनजर नई-नई बरायटियां पहुंच चुकी है। बाजार पूरी तरह हरा-भरा हो चुका है। कपड़ा बाजार, सराफा बाजार, वर्तन बाजार पूरी तरह सज-सवर कर तैयार है। गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्तियों की इस बार खास डिमांड है। दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक चला है। जिसकी धूम अभी से दिखनी शुरू हो गई है।
सतना सहित विंध्य के बाजारों में दिवाली के मददेनजर नई-नई बरायटियां पहुंच चुकी है। बाजार पूरी तरह हरा-भरा हो चुका है। कपड़ा बाजार, सराफा बाजार, वर्तन बाजार पूरी तरह सज-सवर कर तैयार है। गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्तियों की इस बार खास डिमांड है। दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक चला है। जिसकी धूम अभी से दिखनी शुरू हो गई है।
त्योहारों की झड़ी
कार्तिक मास की शुरुआत के साथ ही त्योहारों की झड़ी लग चुकी है। शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक मास की लग चुका है। इस महीनें आधा दर्जन त्योहार मनाएं जाएंगेे। इसी महीने धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, छठ जैसे बड़े पर्वों की धूम है। दिवाली के बाद विंध्य क्षेत्र में भैया दूज का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। इसदिन भाई बहन के घर में जाकर अच्छे-अच्छे पकवान खाता है।
कार्तिक मास की शुरुआत के साथ ही त्योहारों की झड़ी लग चुकी है। शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक मास की लग चुका है। इस महीनें आधा दर्जन त्योहार मनाएं जाएंगेे। इसी महीने धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, छठ जैसे बड़े पर्वों की धूम है। दिवाली के बाद विंध्य क्षेत्र में भैया दूज का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। इसदिन भाई बहन के घर में जाकर अच्छे-अच्छे पकवान खाता है।
तीन प्रकार के मुहूर्त
दिवाली में पूजा करने के लिए तीन प्रकार के मुहूर्त है। तीनों मुहूर्तों में पूजा का विशेष महत्व है। इसदिन भगवान गौरी-गणेश और धन के देवता कुबेर सहित विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। प्रदोष काल मुहूर्त समय १ घंटा और ५ मिनट जबकि मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05.43 से लेकर रात 08.06 बजे तक रहेगा। चौघडिय़ा पूजा सुबह ६.२८ से लेकर ७.५३ और शाम ४.१९ से ८.५५ तक रहेगा। महानिशिता काल के मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा की अवधि ५१ मिनट बताई गई है।
दिवाली में पूजा करने के लिए तीन प्रकार के मुहूर्त है। तीनों मुहूर्तों में पूजा का विशेष महत्व है। इसदिन भगवान गौरी-गणेश और धन के देवता कुबेर सहित विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। प्रदोष काल मुहूर्त समय १ घंटा और ५ मिनट जबकि मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05.43 से लेकर रात 08.06 बजे तक रहेगा। चौघडिय़ा पूजा सुबह ६.२८ से लेकर ७.५३ और शाम ४.१९ से ८.५५ तक रहेगा। महानिशिता काल के मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा की अवधि ५१ मिनट बताई गई है।