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कोरोना टीम में लगे चिकित्सक 14 से 16 घंटे कर रहे ड्यूटी, जनता की सेवा के आगे खुद भूले परिवार की जिम्मेदारी

locationसतनाPublished: Mar 30, 2020 12:20:25 am

Submitted by:

suresh mishra

– आम दिनों में 6 से 8 घंटे सोने वाले जिम्मेदार चिकित्सक 4 ही घंटे ले रहे नींद

Doctor forgotten family's responsibility in front of public service

Doctor forgotten family’s responsibility in front of public service

सतना. कोरोना वायरस के फैल संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए जिले में चिकित्सकों की टीम लगातार सक्रिय है। पत्रिका की बातचीत में डॉ. सीएम तिवारी ने इन दिनों की दिनचर्या की जानकारी शेयर की तो चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। डॉ. तिवारी ने बताया कि इंफेक्सियस डिजीज कंट्रोल टीम में 8 चिकित्सकों को दल की जिम्मेदारी दी गई है। जिसमे सीएचएमओ डॉ. अशोक अवधिया, सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद पाठक, इंफेक्सियस डिजीज कंट्रोल प्रभारी डॉ. एसपी तिवारी, डॉ. सीएम तिवारी, डॉ. सुनील दुबे, डीपीएम, लैबटेक्नीशियन और सेंपलिंग टीम शामिल है। आम दिनों की दिन चर्या और कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने के बाद सब लोग जनता की सेवा के आगे खुद अपने परिवार की जिम्मेदारी भूल गए है। टीम के सदस्य 14 से 16 घंटे तक लगातार ड्यूटी कर रहे। आम दिनों में जो चिकित्सक 6 से 8 घंटे सोते थे वे अब महज 4 ही घंटे नींद ले रहे। जो समय बचता है वह आने-जाने में चला जाता है। लेकिन जो ये नींद होती भी है वह श्वान के तरीके की होती है। मोबाइल की हल्की रिंग बजते ही मुस्तैद होना पड़ता है कि कहीं अस्पताल से फोन तो नहीं आया गया है।
इम्यूनिटी पावर भी मेंटेन करना जरूरी
चिकित्सकों ने बताया कि पहले के दिनों में ड्यूटी करने के बाद ज्यादातर परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर खाना खाते थे। लेकिन इन दिनों टाइमिंग मैच कराना असंभव है। क्योंकि जब सबके साथ खाने का समय होता है। तब घर पहुंच नहीं पाते। जब ड्यूटी से खाली हुए तो तब तक देर हो चुकी होती है। क्योंकि घर वाले कब तक इंतजार कर सकते है। हालांकि कोरोना वायरस के वचाव के लिए सबको समय पर खाना जरूरी है। साथ ही शरीर में इम्यूनिटी पावर भी मेंटेन करना आवश्यक है।
परिवार से नहीं होती पहले जैसे बातचीत
दल में शामिल लोगों का कहना है कि कोरोना अब महामारी का रूप ले रही है। हर आदमी अंदर से घबराया हुआ है। लेकिन चिकित्सक लगातार सकारात्मक पहलुओं की ओर ले जा रहे है। ज्यादा व्यवस्था के कारण परिवार के सदस्यों से पहले जैसे बातचीत नहीं हो पाती है। जब भी आदमी बात चीत करने की कोशिश करता है। तभी दिशा-निर्देश आ जाते है। हालांकि घर के सदस्य भी अपने पैरेंटस की जिम्मेदारी समझ रहे है।
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