शिकायतकर्ता ने पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि बिना फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर का संचालन हो रहा है। मालिक भी कभी-कभार ही दुकान पर बैठते हैं। कर्मचारी के रूप में १०वीं, १२वीं पास कर्मचारियों को रखा गया है। यह वैधानिक नियम के विपरीत है। इसके बाद ड्रग कंट्रोलर ने जांच के निर्देश दिए। इसके आधार पर ड्रग इंस्पेक्टर सोनाक्षी चौहान टीम के साथ शुक्रवार को जांच करने पहुंचीं। मौके पर मौजूद कर्मचारियों से पूछताछ की गई, तब पता चला कि प्रोपराइटर संतोष कुमार गुप्ता व फार्मासिस्ट गायत्री गुप्ता है, जो मौके पर नहीं थे। इसके आधार पर माना कि शिकायत सही है और मेडिकल स्टोर संचालन में लापरवाही की जा रही है। इसके बाद दुकान को सील कर दिया गया।
जांच टीम ने दवा की खरीद-बिक्री के रेकॉर्ड की जानकारी तलब की। संबंधित व्यक्तियों द्वारा वह भी शत प्रतिशत उपलब्ध नहीं कराया जा सका। जो दस्तावेज जांचे गए, उसमें भी गडबड़ी थी। रेकॉर्ड संधारण में भी लापरवाही बरती जा रही थी।
मेडिकल स्टोर अयोग्य कर्मचारियों के माध्यम से संचालित था। यह सही नहीं माना जा सकता कि वे डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन को देखकर सही दवा मरीज को दे सकते हैं। मापदंड के विपरीत था, दवा दुकान में सीधे तौर पर मरीजों के जान से खिलवाड़ चल रहा था।
एक साल पहले भी लाइफ लाइन मेडिकल स्टोर की शिकायत ड्रग कंट्रोलर से हुई थी। इसके बाद जांच हुई थी और अनियमितता पाई गई थी। रिपोर्ट भी मेडिकल स्टोर के खिलाफ थी। इसके बाद संबंधितों को नोटिस जारी हुआ था। एक बार फिर मामला सुर्खियों में है।