ये हैं मापदण्ड
प्रदेश सरकार ने फसल ऋण माफी के लिए दो मापदण्ड तय किए थे। इसमें जिनके चालू खाते थे उनकी शत प्रतिशत ऋण माफी होनी थी। तथा जिनके खाते कालातीत हो गए हैं उनके अलग नियम थी। इसमें एक साल से कम अवधि वाले कालातीत खातों की 75 फीसदी की राशि तथा एक साल से ज्यादा अवधि से कालातीत खातों में 50 फीसदी की राशि सरकार को माफ करना था। अर्थात इस राशि का भुगतान सरकार करेगी शेष राशि बैंक और समितियां वहन करेंगी। लेकिन सतना जिले में जिम्मेदार अधिकारियों ने इन नियमों की गंभीरता को ध्यान में न रखते हुए जिले के 140 किसानों के खातों की गलत जानकारी दे दी।
प्रदेश सरकार ने फसल ऋण माफी के लिए दो मापदण्ड तय किए थे। इसमें जिनके चालू खाते थे उनकी शत प्रतिशत ऋण माफी होनी थी। तथा जिनके खाते कालातीत हो गए हैं उनके अलग नियम थी। इसमें एक साल से कम अवधि वाले कालातीत खातों की 75 फीसदी की राशि तथा एक साल से ज्यादा अवधि से कालातीत खातों में 50 फीसदी की राशि सरकार को माफ करना था। अर्थात इस राशि का भुगतान सरकार करेगी शेष राशि बैंक और समितियां वहन करेंगी। लेकिन सतना जिले में जिम्मेदार अधिकारियों ने इन नियमों की गंभीरता को ध्यान में न रखते हुए जिले के 140 किसानों के खातों की गलत जानकारी दे दी।
सत्यापन में हुई गड़बड़ी किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत जब किसानों के खातों का सत्यापन होना था उस दौरान स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि किसानों के खातों का सही तरीके से परीक्षण करने के बाद उल्लेख किया जाए। लेकिन जिले के जिम्मेदार अमले ने इस मामले में गंभीरता नहीं बरती। नतीजा यह रहा कि 140 किसानों के चालू खातों को कालातीत बता दिया गया। नतीजा यह रहा कि पीए खाते एनपीए के रूप में सत्यापित हो गए। और इनकी ऋण माफी एनपीए नियमों के तहत हो गई। अर्थात पूरी राशि माफ न होकर 50 या 75 फीसदी की ऋण माफी हो सकी है। जिसका समायोजन भी कर दिया गया। लेकिन शेष राशि जो बैंक और समितियों को वहन करना था वह नहीं किया गया। लिहाजा खातों में ऋण अभी भी दिख रहा है।
अब मचा बवाल
अब यह मामला जब सतह पर आ गया तो बवाल मच गया है। स्थिति सामने आने के बाद आनन फानन में प्रबंध संचालक म.प्र. राज्य सहकारी बैंक से मार्गदर्शन मांगा गया है साथ ही संबंधित किसानों के क्लेम पीए (चालू) खातों के अनुसार दिलाने की मांग सीईओ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक ने की है।
अब मचा बवाल
अब यह मामला जब सतह पर आ गया तो बवाल मच गया है। स्थिति सामने आने के बाद आनन फानन में प्रबंध संचालक म.प्र. राज्य सहकारी बैंक से मार्गदर्शन मांगा गया है साथ ही संबंधित किसानों के क्लेम पीए (चालू) खातों के अनुसार दिलाने की मांग सीईओ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक ने की है।
यह है गड़बड़झाला समिति – गलत दर्ज हुए खाते
भैंसवार – 1
अमदरा – 6
घुनवारा – 2
झुकेही – 1
पकरिया – 5
सोनवारी – 6
मुहखोहा- 1
पडऱी – 1
बकिया – 4
सोनौरा – 54
पनगरा – 40
शिवराजपुर – 18
भैंसवार – 1
अमदरा – 6
घुनवारा – 2
झुकेही – 1
पकरिया – 5
सोनवारी – 6
मुहखोहा- 1
पडऱी – 1
बकिया – 4
सोनौरा – 54
पनगरा – 40
शिवराजपुर – 18