जिला अस्पताल आने वाले पीडि़तों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा मुहैया कराने के लिए फरवरी २०१८ में जिला अस्पताल को ई-हॉस्पिटल बनाने की प्रक्रिया आरंभ की गई थी। पहले चरण में ओपीडी, आईपीडी और बिलिंग सिस्टम को जोडऩे की कवायद शुरू की गई थी। लेकिन, आईपीडी, बिलिंग सिस्टम तक काम पूरा नहीं हो पाया। ई-हॉस्टिपल का काम आज भी अधूरा पड़ा है।
मरीजों को यह मिलनी थीं सुविधाएं जिला अस्पताल के ई-हॉस्पिटल बनने के बाद मरीजों का पंजीयन ऑनलाइन होना था। मरीज का पूरा डेटाबेस, बीमारी, जांच रिपोर्ट, दवाएं ऑनलाइन होनी थीं। यही व्यवस्था आईपीडी में भी लागू की जानी थी। अस्पताल में भर्ती मरीजों का पूरा डेटा ऑनलाइन होना था। यह भी दावा कि गया था कि पीडि़त जब किसी बड़े हॉस्पिटल में इलाज कराने जाएगा तो यूनिक नंबर के आधार पर डॉक्टर मरीज की केस हिस्ट्री देख सकेंगे। मरीज जांच रिपोर्ट एक क्लिक के साथ कहीं भी देखी जा सकेगी। कब किस चिकित्सक ने क्या इलाज किया, मरीज को समय पर इलाज मिलेगा, उसका पूरा डाटा सुरक्षित रहेगा। आईपीडी में बेड स्थिति ऑनलाइन रहेगी।
अभी तक सब सपना
मरीजों का ऑनलाइन पंजीयन अभी एक सपना है। डाटा ऑनलाइन होना तो दूर किसी भी विभाग को प्रोजेक्ट से लिंक नहीं किया जा सका है। आईपीडी में अभी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। मरीज के रेफर होने या बड़े शहर में इलाज कराने जाने पर पूरी केस हिस्ट्री के दस्तावेज साथ लेकर जाना पड़ रहा है। किसी भी जांच केंद्र को अभी प्रोजेक्ट से नहीं जोड़ा गया है। मरीजों को रिपोर्ट मैन्युअल सौंपी जा रही है।
मरीजों का ऑनलाइन पंजीयन अभी एक सपना है। डाटा ऑनलाइन होना तो दूर किसी भी विभाग को प्रोजेक्ट से लिंक नहीं किया जा सका है। आईपीडी में अभी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। मरीज के रेफर होने या बड़े शहर में इलाज कराने जाने पर पूरी केस हिस्ट्री के दस्तावेज साथ लेकर जाना पड़ रहा है। किसी भी जांच केंद्र को अभी प्रोजेक्ट से नहीं जोड़ा गया है। मरीजों को रिपोर्ट मैन्युअल सौंपी जा रही है।