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चित्रकूट उपचुनाव: प्रेम की राख और शिव की साख दोनों दांव पर

locationसतनाPublished: Nov 08, 2017 11:50:25 am

Submitted by:

suresh mishra

अंतिम समय तक मुद्दे गौण, पत्ते नहीं खोल रहा मतदाता, साख का सवाल बना चित्रकूट उपचुनाव

election campaign ends for chitrakoot byelection madhya pradesh

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सतना। चित्रकूट उपचुनाव के लिए मंगलवार को प्रचार थम गया। अब अंतिम समय में भाजपा व कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां विकास, सड़क, बिजली, पानी जैसे मुख्य मुद्दे गौण हो चुके हैं। चुनाव दिवंगत विधायक प्रेम सिंह बरौंधा की राख व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की साख तक सिमटकर रह गया है।
अंतिम समय में भी मतदाता अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं दिख रहा है। अगर, कोई कांग्रेस के पक्ष में बात भी कर रहा है तो उसका कहना है कि प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी से कुछ नहीं लेना देना नहीं है, बल्कि वह दिवंगत विधायक प्रेम सिंह बरौंधा के उत्तराधिकारी है, इसलिए समर्थन जारी है।
मान मनौव्वल का दौर खत्म

भाजपा प्रत्याशी शंकर दयाल त्रिपाठी के लिए पहचान बड़ा संकट बना हुआ है। पार्टी व प्रत्याशी से ज्यादा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साख पर चुनाव लड़ा जा रहा है। आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री, प्रदेशाध्यक्ष व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दौरा भी मतदाताओं में उत्साह का संचार नहीं कर सका है। टिकट वितरण से ही असंतोष शुरू हुआ था। डैमेज कंट्रोल और मान मनौव्वल का दौर खत्म होने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
निजी पसंद-नापसंद पर सिमटे मतदाता
उपचुनाव में वोटों का विभाजन दिवंगत विधायक प्रेम सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के बीच है। प्रत्याशियों का फैसला भी इसी आधार पर होगा। मत विभाजन परंपरागत तौर पर हुआ तो प्रेमसिंह की याद में वोट पडेंग़े। जो भाजपा के पक्ष में मतदान करना चाहते हैं वो शिवराज सिंह के नाम करेंगे। दल, नेताओं के भाषण और वादों पर भरोसा नहीं है।
उनके यहां वर्चस्व
बरौंधा, पिंडरा, मझगवां का क्षेत्र दिवंगत विधायक प्रेम सिंह के अधिक प्रभाव का रहा है, जहां लोगों के उनसे व्यक्तिगत रिश्ते रहे हैं। चित्रकूट, पालदेव, नयागांव, चौबेपुर और आसपास कांग्रेस के नीलांशु का असर है। बिरसिंहपुर, जैतवारा, प्रतापपुर का इलाका भाजपा के प्रत्याशी शंकरदयाल त्रिपाठी के प्रभाव का माना जाता रहा है।
भावनाएं ज्यादा महत्वपूर्ण
9 नवंबर को 1 लाख 98 हजार से ज्यादा मतदाता मतदान करेंगे। २५४ पोलिंग वाले विस क्षेत्र में पहले हुए चुनावों में जातिगत वोटों का धु्रवीकरण कम ही रहा है। इसके कारण क्षेत्र से ब्राह्मण, ठाकुर, पटेल और अन्य जातियों को प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। इस बार हालात अलग हैं। दोनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशी ब्राह्मण होने से ४० फीसदी मत विभाजन इनके ही बीच होने की संभावना है। शेष 60 फीसदी मतदाता गरीब, अनपढ़ या अल्प शिक्षित होने से वोट का निर्णय भावनाओं और निजी रिश्तों के आधार पर करता रहा है।
इन नेताओं ने झोंकी ताकत
कांग्रेस की तरफ से अब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह, प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव सभाएं कर चुके हैं। उधर, भाजपा मुख्यमंत्री के अलावा, उत्तप्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य, प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान, मंत्रिमंडल के दर्जनभर सदस्यों के अलावा प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को प्रचार के लिए ला चुकी है। मंगलवार को अंतिम कुछ घंटों में मुख्यमंत्री और अरुण यादव ने धारकुंडी आश्रम में संत सच्चिदानंद से आशीर्वाद लिया।
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