ग्रामीणों ने बताया कि गांव में लगभग 250 विद्युत उपभोक्ताओं पर 5 लाख रुपए से अधिक का बिजली बिल बकाया है। इसे वसूलने बुधवार को कंपनी के अधिकारी गांव पहुंचे और लोगों से 50 फीसदी बकाया राशि जमा करने को कहा। लेकिन चरखा चलाकर किसी प्रकार जीवन यापन कर रहे ग्रामीणों ने जब आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए तुरंत पैसा जमा करने में असमर्थता व्यक्त की तो अधिकारियों ने ट्रांसफार्मर से गांव की विद्युत आपूर्ति काट दी, जबकि गांव में 600 कनेक्शन हैं। इससे सुलखमा गांव के 600 परिवार दो दिन तक अंधेरे में रहे।
जब ‘पत्रिका’ ने शुक्रवार की शाम बिजली कंपनी के अधिकारियों से गांव की बिजली क्यों काटी गई, इसकी जानकारी ली तो कंपनी के अधिकारी हरकत में आ गए और आनन-फानन में गांव पहुंच कर रात 9 बजे गांव की विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी। दो दिन बाद गांव का अंधेरा छटा और बिजली आई तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
ग्रामीणों ने बताया कि जिन उपभोक्तओं द्वारा बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा, बिजली कंपनी के अधिकारी उनका कनेक्शन काटने की बजया पूरे गांव की बिजली आपूर्ति रोक दी। विद्युत कंपनी के अधिकारियों इस तानाशाही के कारण ऐसे उपभोक्ता जिनका बिजली बिल बकाया नहीं है उन्हें भी दो दिन अंधेरे में गुजरने पड़े। ग्रामीणों ने कंपनी के अधिकारियों पर यह भी अरोप लगाया की गांव की बिजली काटने से पहले ग्रामीणों को बिल जमा करने की सूचना और समय नहीं दिया गया जो गलत है।