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संकट के दौर में भी किसानों से सवा 4 करोड़ वसूले

locationसतनाPublished: May 12, 2020 07:52:27 pm

Submitted by:

Pushpendra pandey

50% राशि काटने के बाद ही होता है समर्थन मूल्य पर बेची गई उपज का भुगतान

संकट के दौर में भी किसानों से सवा 4 करोड़ वसूले

संकट के दौर में भी किसानों से सवा 4 करोड़ वसूले

सतना. कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन की मार झेल रहे लोगों को जहां दुनियाभर की सरकारें राहत पैकेज दे रही हैं, वहीं खुद को किसान हितैषी बताने वाली मप्र सरकार किसानों से कर्ज वसूली कर रही है। अकेले सतना जिले में ही एक महीने के दौरान करीब सवा चार करोड़ रुपए किसानों से वसूले गए हैं। यह राशि उनके द्वारा समर्थन मूल्य पर बेचे गई उपज के भुगतान से काटी गई है। यह स्थिति तब है, जब केंद्र सरकार ने कोरोना लॉकडाउन में विभिन्न तरह की ऋण वसूली तीन माह के लिए स्थगित कर दी है। ऋण की किस्त के लिए भी दबाव न बनाने को कहा गया है लेकिन अन्नदाता से कर्ज वसूली समझ से परे है।
दरअसल, समर्थन मूल्य पर गेहंू बेचने वाले किसानों से ५० फीसदी राशि काटने के बाद ही भुगतान पत्रक बनाए जा रहे हंै। किसान की सहमति न होने के बाद भी सॉफ्टवेयर में कटौती के बाद ही बिल जनरेट किए जा रहे हंै। शासन की इस व्यवस्था से किसान मायूस हैं। 15 अप्रैल से शुरू हुए गेहंू उपार्जन को लेकर किसानों में उत्साह था। उन्हें उमीद थी कि उपज बेचने से जो राशि मिलेगी, उससे वह जरूरी खर्चों का भुगतान कर देगा। लेकिन, ऋण वसूली से उसका हिसाब बिगड़ गया। जिले के 110 केंद्रों में अब तक 222 करोड़ 96 लाा 56 हजार 990 रुपए कीमत के गेहंू की तौल कराने के बाद सरकार ने किसानों से 4 करोड़ 14 लाा 71 हजार 853 रुपए अपने खजाने में जमा करा लिया।
कई किसान ऋ ण वसूली के इंतजार में
प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया था। इसमें छोटी राशि वाले किसानों के कर्ज तो माफ हो गए, लेकिन जिन किसानों ने दो लाख से ज्यादा कर्ज लिया था, उनका कर्ज माफ नहीं हो पाया था। जून में उन्हें लाभ देने का प्रस्ताव पूर्व सरकार ने रखा था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गईं। सत्ता में आई भाजपा सरकार ने समर्थन खरीदी के दौरान ऋण वसूली शुरू कर दी।
इधर, समिति के कर्जदार परेशान
जिले की मंडियों में उचित दाम न मिलने से किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए मजबूर हैं। समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए जिलेभर में 60 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। जो सरकार की दोहरी नीति से परेशान हैं। शासन ने समर्थन खरीदी के साथ ही खाद-बीज या किसान क्रेडिट कार्ड ऋण की आधी रकम वसूलने का निर्णय लिया है। सरकारी खरीदी में एेसा सिस्टम बनाया गया है कि कर्ज का 50 प्रतिशत भुगतान किए बिना किसान का बिल जनरेट ही नहीं होगा। यही कारण है कि छोटे काश्तकारों के साथ अब प्रशासन ने बड़े किसानों को भी खरीदी के मैसेज भेजना चालू कर दिए हैं।

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