मिली जानकारी के अनुसार गिरोह का एक सदस्य पुष्पेन्द्र बागरी जो रैगांव-करसरा रोड में पड़ने वाले सेमरिया गांव का निवासी है परसमनिया पठार में लगातार आदिवासियों से संपर्क कर उन्हें फर्जी वनाधिकार पट्टे देने का काम कर रहा है। संबंधितों से पैसा लेने के बाद उनकी जमीन का जीपीएस से नक्शा पीडीएफ करता है। इसके बाद अन्य दस्तावेज लेकर उनकी नस्ती बना कर आदिम जाति कल्याण विभाग के कार्यालय में सौंपता है। इतना ही नहीं इसके द्वारा आदिवासियों के वन भूमि में फर्जी कब्जे की टीप भी बनाई जाती है और वन विभाग की फर्जी सील मुहर लगाकर हस्ताक्षर भी किये जाते हैं। इस काम में आदिम जाति कल्याण विभाग, वन विभाग, वन समिति सहित स्थानीय सरपंच सचिव भी साथ देते हैं। जानकारों का कहना है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के कार्यालय के कुछ लिपिकीय स्टाफ इस खेल के मास्टर माइंड है और उनके द्वारा बाद में फर्जी पट्टा जारी कर दिया जाता है।
इस पूरे खेल का खुलासा वन विभाग की सक्रियता से हो सका है। मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग के रेंजर अरुण शुक्ला को यह सूचना मिली थी कि कोई व्यक्ति वन भूमि में जमीन नाप कर रहा है और आदिवासियों को इन जमीनों का पट्टा दिलाने की बात कर रहा है। इस सूचना के आधार पर मैदानी अमले को सक्रिय किया गया और वन क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए। हालांकि इस दौरान एक संदिग्ध व्यक्ति जंगल में घूमता दिखा लेकिन उसके पास कुछ था नहीं लिहाजा उस पर कोई कार्रवाई न कर उसकी निगरानी शुरू कर दी। गत दिवस पाया गया कि ये आदमी रात को वन भूमि में नापजोख कर रहा था। इस दौरान लगातार निगरानी कर रहे मैदानी वन अमले ने संबंधित युवक को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम पुष्पेन्द्र बागरी पिता दिलीप बागरी (28) बताया। पहले तो वो वन भूमि में नापजोख करने की बात से इंकार करता रहा। लेकिन जब पूछताछ का दायरा बढ़ाया गया तो उसने सच उगल दिया। इसके बाद उसकी तलाशी ली गई तो उसके कब्जे से कई फाइलें और काफी संख्या में वनाधिकार पट्टे से संबंधी दस्तावेज मिले। इतना ही नहीं इसके साथ ही वन विभाग सतना की फर्जी सील भी मिली। इन्हें जब्त करते हुए सभी दस्तावेज डिप्टी रेंजर भारत सिंह नागर को सौंप दिए गए हैं। साथ ही जसो पुलिस को बुलाकर आरोपी को सुपुर्द कर दिया गया।
पुलिस को सौंपने से पहले स्थानीय ग्रामीणों की मौजूदगी में वन अमले ने पुष्पेन्द्र से पूछताछ की। जिसमें उसने इस काम में आदिम जाति कल्याण विभाग सतना के लिपिक चतुर्वेदी सहित एक सोहावल निवासी बाबू की भूमिका का भी उल्लेख किया है तो इस मामले में वन विभाग के नागर से अपनी मुलाकात की बात स्वीकारी है। हालांकि इसका खुलासा विस्तृत जांच में हो सकेगा। लेकिन यह तो साबित हो रहा है कि जिले में फर्जी तरीके से वनाधिकार पत्र बनाए जा रहे हैं।
जसो थाना पुलिस ने इस मामले में अलग कहानी बताई है। कहा कि यह लोगों को धमका रहा था। उसके पास से चक्कू मिला था। आर्म्स एक्ट में बंद किया गया है। उधर यह भी जानकारी सामने आई है कि इस मामले में पुष्पेन्द्र से जुड़ा एक व्यक्ति खुद को अखबार (पत्रिका नहीं) से जुड़े वाहन का चालक बताते हुए थाना पहुंचा था।
” वन विभाग ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। चाकू लेकर युवक लोगों को धमका रहा था। इस आधार पर प्रकरण कायम किया गया है। ” – केपी त्रिपाठी, जसो थाना प्रभारी