खाद को लेकर पूरे जिले में हाहाकार मचा है। किसानों के साथ आए दिन बदसलूकी हो रही है। बिचौलियों द्वारा मनमाने दाम पर खाद बेंची जा रही है। ऐसे में कांग्रेस ने किसानों द्वारा समितियों को बेचे गए गेहूं के करोड़ों रुपये का भुगतान अभी तक नहीं किए जाने को कांग्रेस ने बर्दाश्त के बाहर बताते हुए जिलाव्यापी आंदोलन का एलान किया है। इन सभी मुद्दों को लेकर कांग्रेस सोमवार 31 अगस्त को जिले के सभी तहसील एवं उप तहसील मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन करेगी। पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सभी कार्यकर्ताओं से कोविड-19 के संबंध में शासन के निर्देशों का आवश्यक रूप से पालन करते हुए इस आंदोलन में शरीक होने को कहा है।
इस बीच जिला कृषि उप संचालक बीएल कुरील का कहना है कि इस बार जिले में धान रोपाई का रकबा बढ़ा है। पिछले साल 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई थी जबकि इस बार 1 लाख 78 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की जा रही है। 8 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ने से खाद की डिमांड ज्यादा बढ़ी है। दूसरी समस्या बारिश देर से शुरू होने बोआई भी लेट शुरू हुई है। अब बारिश लगातार होने से धान की रोपाई तेज हो गई है। किसानों को धान की रोपाई के समय 10 से 15 दिन के बीच में खाद का पहला छिड़काव करना पड़ता है। दूसरा छिड़काव 25 से 30 दिन में करना होता है, इसलिए किसानों को खाद लेने के लिए वितरण केंद्रों में जाना पड़ रहा है।
कृषि उप संचालक के अनुसार जिले भर के किसानों के लिए लगभग 20 हजार मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन इस बार मांग से ज्यादा खाद शासन ने मुहैया कराया है। अबकी साल शासन ने करीब 22 हजार मीट्रिक टन खाद भेजा है, जिसमें से 18 हजार 600 मीट्रिक टन खाद आवंटित की जा चुकी है। शेष 3400 मीट्रिक टन खाद बची है।
खाद लेने के लिए किसानों को जमीन के दस्तावेज सहित आधार कार्ड एवं खसरा बी-1 लेकर वितरण केंद्रों तक जाना पड़ता है, तब खाद दी जाती है। बावजूद इसके किसान परेशान हैं। कृषि संचालक का कहना है कि यदि सिर्फ आधार कार्ड के माध्यम से खाद दी जाए तो इसमें कालाबाजारी जमकर हो सकती है।
सूत्रों की माने तो कुछ वितरण केंद्रों पर सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर खाद दे दी जाती है और इसी का फायदा उठाते हुए अवैध कारोबारी अपने यहां खाद डंप करते हैं। हालांकि कृषि उप संचालक का यह भी कहना है कि खाद का सरकारी दाम 266 रुपये प्रति बोरी है, जिसे व्यापारी भी इतने ही रेट पर खाद बेच सकता है। कंपनी की तरफ से व्यापारी को कमीशन दिया जाता है। कंपनी, व्यापारी को 257 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद देती है और व्यापारी 266 रुपये में ही किसानों को खाद बेच सकता है। लेकिन आरोप है कि कुछ व्यापारी इससे अधिक दामों में खाद किसानों को दे कर मुनाफा कमा रहे हैं।
बता दें कि जिले में यूरिया का स्टॉक होने के बावजूद भी गत दिनों मृतक और भूमिहीन किसानों को हजारों क्विंटल यूरिया बेच देने का मामला प्रकाश में आया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने रामपुर बाघेलान एसडीएम संस्कृति शर्मा को जांच का जिम्मा सौंपा था। इनमें से रामपुर बाघेलान ब्लॉक के सहकारी समिति बकिया के प्रबंधक ने अमर सिंह के नाम पर 110 क्विंटल यूरिया जारी किया था। सत्यापन में पता चला था कि किसाना की चार माह पहले मौत हो चुकी थी और परिजनों को भी खाद के बारे में कुछ पता नहीं था। जिसकी जांच करते हुए एसडीएम ने संबंधित के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेज दिया है।