प्रकाश सिंह कृषि उपज मंडी समिति में संविदा कर्मचारी के रूप में काम करते थे। मंडी समिति द्वारा उन्हें 1991 में उपयंत्री के पद पर नियमित किया गया था। तब प्रकाश सिंह से 10/07/1991 को पुलिस चरित्र सत्यापन किए जाने हेतु जो अनुप्रमाण फार्म भरवाया गया था, उसके कालम 12 में उन्होंने सही जानकारी छिपाते हुए यह लिखा था कि उनके खिलाफ न्यायालय में किसी भी प्रकार का प्रकरण विचाराधीन नहीं है। जबकि पुलिस द्वारा किए गए चरित्र सत्यापन में यह बात सामने आई कि प्रकाश सिंह पर अपराध क्रमांक 96/91 धारा 353,294,448,323 के तहत आपराधिक प्रकरण तय समय न्यायालय में विधाराधीन है।
पुलिस वेरीफिकेशन में फर्जीवाड़ा उजागर होने पर उप पुलिस महानिरीक्षक गुप्त वार्ता (सुरक्षा) मप्र भोपाल ने सचिव कृषि उपज मंडी समिति सतना को दिनांक 19/08/1991 को पत्र क्रमांक 15960 जारी कर सूचित किया था कि उपयंत्री प्रकाश सिंह सेवा के अनुपयुक्त पाए गए हैं। पत्र की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन मंडी अध्यक्ष ने पत्र क्रमांक 9091/13095-96 दिनांक 24/09/91 को भेजकर संचालक मंडी बोर्ड को लेख किया था। लेकिन, 26 साल तक यह पत्र मंडी बोर्ड में दबा रहा। उपयंत्री के फर्जीवाड़े की पोल बीते साल खुली। एक व्यक्ति ने मंडी बोर्ड में गोपनीय शिकायत करते हुए प्रकाश सिंह को पुलिस चरित्र प्रमाण-पत्र में सेवा के अयोग्य बताया और हटाने की मांग की।
गोपनीय शिकायत के बाद सक्रिय हुए मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने मंडी समिति सतना से प्रकाश सिंह के नियमितीकरण, अभिप्रमाणक व पुलिस वेरीफिकेशन पत्र की सत्यापित प्रतिलिप मांगते हुए मामले की विभागीय जांच कराई। इसमें प्रकाश सिंह द्वारा फर्जी प्रमाण-पत्र देकर नौकरी पाना पाया गया। जांच में उपयंत्री के दोषी पाए जाने पर मंडी बोर्ड ने उनको सेवा से पृथक करने का प्रकरण तैयार कर अगली कार्रवाई के लिए राज्य शासन को भेज दिया है।