आदिम युग जैसी झकझोर देने वाली तस्वीर सतना के पास के एक गांव से सामने आई है। एक व्यक्ति की दलदल में बैलगाड़ी फंस जाने से उपचार के अभाव में मौत हो गई। गांव के 55 वर्ष के प्रीतम बहुत बीमार हो गए थे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाकर डाक्टर को दिखाने की दरकार थी पर गांव के रास्ते में दलदल था. बहुत ज्यादा कीचड़ होने से गांव तक वाहन नहीं पहुंच पाया।
यह भी पढ़ें : तीसरी लहर में मौतों का डरावना ट्रेंड, कुछ ही घंटों में दम तोड़ रहे संक्रमित
इधर बीमार पिता की हालत लगातार खराब होती जा रही थी और उन्हें इलाज की सख्त जरूरत थी. लिहाजा परिवार ने उन्हें बैलगाड़ी से अस्पताल ले जाने की व्यवस्था की। प्रीतम के बेटे ने अपने पिता को बैलगाड़ी में लिटा दिया और अस्पताल के लिए चल पड़ा पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. जो आशंका थी वह सच निकली और उनकी बैलगाड़ी कीचड़ में फंस गई.
कीचड़ में बुरी तरह फंसी काठ गाड़ी को बैल अपना पूरा जोर लगाकर भी नहीं खींच पा रहे थे, तो प्रीतम के बेटे राममूरत धक्का लगाने लगे. बेटे ने धक्का लगाकर काठ गाड़ी को निकालने की पूरी कोशिश की. लेकिन इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई। यहां के कुछ ग्रामीणों की मदद से बमुश्किल काठ गाड़ी को निकाला गया और प्रीतम के अंतिम संस्कार की तैयारियां प्रारंभ की गईं.
गांव के लोगों ने बताया कि कीचड़ के कारण गांव में ऐसे कई केस हो चुके हैं जब बीमारों को उचित इलाज तक नहीं मिल पाता. खुद राममूरत ने ही बताया कि इससे पहले ऐसे ही हालातों के चलते उनकी पत्नी की भी मौत हो गई थी। अब उन्होंने इसी दलदल के कारण लाख कोशिश के बाद भी अपने पिता को भी खो दिया।