राजपत्र प्रकाशित
इसे लेकर मध्यप्रदेश के भू-राजस्व संहिता में किए गए इस प्रावधान का प्रकाशन राजपत्र में कर दिया गया है। इसके अनुसार मूल अधिनियम की धारा 175 के पश्चात धारा 176 के रूप में अंत: स्थापन किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया कि यदि कोई भू स्वामी, जो अपने खाते पर स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पांच साल तक खेती नहीं करता है, भू-राजस्व का भुगतान नहीं करता है और उसने उस ग्राम को छोड़ दिया है, तो तहसीलदार ऐसी जांच के बाद आवश्यक समझने पर उस खाते में समाविष्ट भूमि का कब्जा ले लेंगे।
सरकार की हो जाएगी जमीन
भू-राजस्व संहिता में किए बदलाव के अनुसार अगर आप मापदंड पर खरे नहीं उतरते हैं तो उस जमीन को शासकीय घोषित कर दिया जाएगा। इस स्थिति में एक बार में एक कृषि वर्ष की कालावधि के लिए भूमि स्वामी की ओर से पट्टे पर देकर खेती की व्यवस्था कर सकेगा। सामान्य भाषा में इसे समझे कि अगर किसी किसान ने अपना गांव छोड़ दिया है और पांच साल से खेत में खेती नहीं हो रही है और उसका लगान जमा नहीं किया गया तो उस जमीन को तहसीलदार अपने कब्जे में ले लेंगे।
फिर ऐसे वापस मिलेगी जमीन
ऐसा नहीं है कि सरकार जब जमीन वापस ले लेगी तो आपको लौटाएगी नहीं। उसके लिए कुछ शर्त तय किए गए हैं। जिस तारीख को तहसीलदार ने जमीन पर कब्जा किया है, उसके आगामी कृषि वर्ष से पांच साल की अवधि में भू-स्वामी या विधिक हकदार अपना दावा करता है और सभी बकाया भूमि शोध्यों का भुगतान कर देता है तो तहसीलदार शर्तों के तहत जमीन पर वापस कर देगी।
वहीं, संशोधन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर तय अवधि में कोई दावा प्रस्तुत नहीं होता या फिर किसान द्वारा किया गया दावा खारिज कर दिया जाता है तो इसका प्रतिवेदन तहसीलदार अपने अनुविभागीय अधिकारी को सौपेंगे। अनुविभागीय अधिकारी इसके बाद उस जमीन को परित्यक्त घोषित करते हुए उसे सरकारी घोषित कर देगा।