scriptरामनगर अध्यक्ष रामसुशील सहित तत्कालीन सीएमओ पर एफआइआर के आदेश | FIR order on then CMO, including Ramamnagar president Ram Shushil | Patrika News

रामनगर अध्यक्ष रामसुशील सहित तत्कालीन सीएमओ पर एफआइआर के आदेश

locationसतनाPublished: Apr 21, 2019 11:04:08 pm

Submitted by:

Ramashankar Sharma

184 लाख का आवास घोटाला, 269 लाख के घोटाले में पहले भी दर्ज हो चुकी एफआइआर

ramshuseel

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सतना. रामनगर नगर परिषद में हाल ही में सामने आए प्रधानमंत्री आवास योजना में 184 लाख के घोटाले के मामले में कलेक्टर ने एफआइआर के आदेश जारी कर दिए हैं। मामले में नगर परिषद अध्यक्ष भाजपा नेता रामसुशील पटेल सहित तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव, अमर सिंह, कंसल्टेंट अभिषेक पटेल व वार्ड प्रभारी (वार्ड 1 से 15 तक) दोषी पाए गए हैं। कलेक्टर के आदेश के बाद अब इन दोषियों पर संबंधित थाने में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी इसी तरह आवास योजना में 269 लाख के घोटाले के मामले में एफआइआर दर्ज है।
राज्य शासन से गठित जांच कमेटी ने रामनगर नगर परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना के घोटालों की जांच शुरू की थी। इसमें 269 लाख का गड़बड़झाला सामने आया था। इस पर तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर नप अध्यक्ष रामसुशील पटेल सहित तत्कालीन सीएमओ के विरुद्ध थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया था। इसके बाद फिर यह पाया गया कि कलेक्टर से जो सूची अनुमोदित करवाई गई है, उसमें भी गड़बड़झाला है। जिस पर पुन: जांच के निर्देश दिए गए। इस पर कमेटी ने जांच प्रारंभ की। पाया कि 184 अपात्रों को नियम विरुद्ध तरीके से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है। इसकी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई। इस पर कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने इस मामले में दोषियों पर एफआइआर के आदेश दे दिए हैं।
यह है मामला

प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को राशि प्रदान करने कलेक्टर की अनुमोदित सूची में 184 हितग्राही अपात्र पाए गए हैं। जांच में पाया गया कि 82 हितग्राही ऐसे थे जिनके द्वारा शासकीय भूमि में आवास बनाए गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक के तहत केवल निजी पट्टे पर भी आवास दिया जा सकता है। हैरत की बात तो यह है कि खुद हितग्राहियों ने अपने शपथ पत्र में यह लिख कर दिया है कि वे शासकीय भूमि में कच्चा मकान बना कर रह रहे हैं और इसी में आवास का निर्माण करेंगे। इसके बाद भी इन्हें बीएलसी घटक से आवास स्वीकृत कर इन्हें योजना का लाभ दे दिया गया और आनन-फानन इनके खाते में एक-एक लाख रुपए डाल दिए गए। 34 हितग्राही जांच में ऐसे पाए गए जिनके द्वारा केवल शपथ पत्र (विक्रय पत्र) लगाकर अन्य व्यक्ति के नाम के पट्टे की जमीन पर आवास निर्माण किया गया है। 54 हितग्राही ऐसे पाए गए जिन्हें जिस भूमि पर शासन से आवास स्वीकृत हुआ था उस भूमि पर आवास न बनाकर किसी अन्य के पट्टे की जमीन पर आवास बना लिया। जबकि योजना का लाभ निजी पट्टे की आराजी के लिए होता है और जहां के लिए आवास स्वीकृत होता है वहीं पर आवास बनाया जा सकता है। 16 हितग्राही ऐसे पाए गए हैं जिनके पहले से एक हजार वर्ग फीट या उससे ज्यादा के एरिया में पक्के आवास बने हैं। ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत अपात्र माना जाता है। लेकिन रामनगर में ऐसे लोगों को भी योजना का लाभ देते हुए उनके खातों में एक-एक लाख रुपए डाले गए।
इस तरह हुआ था खेल
जानकारी के अनुसार, तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अप्रूवल, निरीक्षण के काम शासकीय उपयंत्री के स्थान पर कन्सल्टेंट अभिषेक पटेल को सौंपा। इसके बाद भी उपयंत्री से इसमें किसी प्रकार की टीप नहीं ली गई। प्रथम किस्त का भुगतान भी निकाय के उपयंत्री की टीप के बिना कन्सल्टेंट एवं वार्ड प्रभारी जो मस्टर श्रमिक की अनुशंसा के आधार पर कर दिया। हैरतअंगेज तथ्य यह भी सामने आया है कि अनुमोदन के पहले पात्रता निर्धारण सूची तैयार करने का जिम्मा इन्हीं मस्टर श्रमिक वार्ड प्रभारियों को दिया गया था। इस फर्जीवाड़े में कंसल्टेंट अभिषेक पटेल पात्र हितग्राहियों के साथ अपात्रों के नाम भी एमआइएस में फीड करा दिए। डीपीआर बनाने के लिए तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव और अध्यक्ष रामसुशील पटेल ने 15 मस्टर कर्मचारियों को फील्ड कार्य के लिये संलग्र किया था।
यह है फर्जीवाड़ा

जांच में पाया गया कि तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव, नगर परिषद अध्यक्ष रामसुशील पटेल, कंसल्टेंट अभिषेक पटेल, वार्ड प्रभारी (वार्ड 1 से 15 तक) ने 164 अपात्र हितग्राहियों के खाते में नियम विरुद्ध तरीके से 1 लाख रुपए डाले और 164 लाख का फर्जीवाड़ा किया। तत्कालीन सीएमओ अमर सिंह व नगर परिषद अध्यक्ष रामसुशील पटेल व कंन्सल्टेंट ने 20 अपात्रों को 20 लाख रुपए की राशि देकर शासकीय धन का दुरुपयोग किया। इस तरह से यहां 184 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया।

“184 अपात्रों को योजना के तहत राशि भुगतान किया गया है। मामले में पीओ डूडा को दोषियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने निर्देश जारी कर दिए गए हैं।” – सतेंद्र सिंह, कलेक्टर

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