ददुआ से शुरू हुआ राजनीतिक आतंक
चुनावों में डकैतों के दखल की शुरुआत दस्यु सरदार शिवकुमार कुर्मी उर्फ ददुआ के दौर में हुई थी। चुनावों के समय उसके राजनीतिक आतंक का दबदबा न केवल चित्रकूट क्षेत्र तक सीमित रहा बल्कि इलाहाबाद, बांदा, फतेहपुर, फूलपुर, मिर्जापुर तक उसके फरमान पर वोटों की दिशा और दशा तय होती थी। ददुआ के आतंक के खात्मे के बाद यहां के अन्य डकैतों ने चुनाव की इस दस्यु परंपरा को आगे बढ़ाया। लेकिन गत विधानसभा चुनावों तक इस परंपरा का लगभग खात्मा हो गया।
चुनावों में डकैतों के दखल की शुरुआत दस्यु सरदार शिवकुमार कुर्मी उर्फ ददुआ के दौर में हुई थी। चुनावों के समय उसके राजनीतिक आतंक का दबदबा न केवल चित्रकूट क्षेत्र तक सीमित रहा बल्कि इलाहाबाद, बांदा, फतेहपुर, फूलपुर, मिर्जापुर तक उसके फरमान पर वोटों की दिशा और दशा तय होती थी। ददुआ के आतंक के खात्मे के बाद यहां के अन्य डकैतों ने चुनाव की इस दस्यु परंपरा को आगे बढ़ाया। लेकिन गत विधानसभा चुनावों तक इस परंपरा का लगभग खात्मा हो गया।
डकैतों ने इन्हें बनाया नेता
डकैतों के प्रभाव से चुनावों में जीत हार की बात तो अलग है यहां डकैतों ने खुद अपने लोगों को सक्रिय राजनीति में भी उतारा। ददुआ के छोटे भाई बाल कुमार पटेल फरमानों की बदौलत मिर्जापुर से सपा के सांसद भी बन चुके हैं। चित्रकूट के पूर्व विधायक स्व. प्रेमसिंह पर खुद डकैत (बागी) होने का ठप्पा है। जिन्हें मूल धारा में लाने का श्रेय कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह पर जाता है। ददुआ का बेटा वीर सिंह भी चित्रकूट सीट से सपा का विधायक रह चुका है। तराई के राजनीतिक आतंक का खात्मा करने का श्रेय तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती को जाता है जिन्होंने अभियान चलाकर क्षेत्र को दस्यु आतंक से मुक्ति दिलाने में महती भूमिका दिलाई थी। इसके बाद जो डकैत हुए उनका प्रभाव राजनीतिक तौर पर उतना व्यापक तो नहीं रहा फिर भी गाहे बगाहे अपनी धमक दिखाते रहते थे।
डकैतों के प्रभाव से चुनावों में जीत हार की बात तो अलग है यहां डकैतों ने खुद अपने लोगों को सक्रिय राजनीति में भी उतारा। ददुआ के छोटे भाई बाल कुमार पटेल फरमानों की बदौलत मिर्जापुर से सपा के सांसद भी बन चुके हैं। चित्रकूट के पूर्व विधायक स्व. प्रेमसिंह पर खुद डकैत (बागी) होने का ठप्पा है। जिन्हें मूल धारा में लाने का श्रेय कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह पर जाता है। ददुआ का बेटा वीर सिंह भी चित्रकूट सीट से सपा का विधायक रह चुका है। तराई के राजनीतिक आतंक का खात्मा करने का श्रेय तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती को जाता है जिन्होंने अभियान चलाकर क्षेत्र को दस्यु आतंक से मुक्ति दिलाने में महती भूमिका दिलाई थी। इसके बाद जो डकैत हुए उनका प्रभाव राजनीतिक तौर पर उतना व्यापक तो नहीं रहा फिर भी गाहे बगाहे अपनी धमक दिखाते रहते थे।
इस तरह जारी होते थे फरमान
जानकारों का कहना है कि किसी के पक्ष में वोट डलवाने के लिये डकैत दिलचस्प तरीके से फरमान जारी करते थे। उनके गिरोह के सदस्य अपने मुखबिरों के माध्यम से 50 से 100 गांवों तक यह संदेशा पहुंचवाते थे कि किस पार्टी, निशान और प्रत्याशी को वोट देना है। जब यह संदेशा पहुंच जाता था उसके बाद दस्यु सरगना और या उनके प्रभावी सदस्य वोटिंग के एक दो दिन पहले क्षेत्र में घूम कर अपने फरमान को गांव के किसी स्थान पर बैठकर दोहरा देते थे। इसके बाद वोटिंग उसी फरमान के आधार पर ही होती थी। इस दौरान अपना भय कायम करने गाहे बगाहे ग्रामीणों के साथ मारपीट की घटना को भी अंजाम दिया जाता था और यह घटना दावानल की तरह तराई में फैल जाती थी। जिसका असर वोटिंग में दिखता था।
जानकारों का कहना है कि किसी के पक्ष में वोट डलवाने के लिये डकैत दिलचस्प तरीके से फरमान जारी करते थे। उनके गिरोह के सदस्य अपने मुखबिरों के माध्यम से 50 से 100 गांवों तक यह संदेशा पहुंचवाते थे कि किस पार्टी, निशान और प्रत्याशी को वोट देना है। जब यह संदेशा पहुंच जाता था उसके बाद दस्यु सरगना और या उनके प्रभावी सदस्य वोटिंग के एक दो दिन पहले क्षेत्र में घूम कर अपने फरमान को गांव के किसी स्थान पर बैठकर दोहरा देते थे। इसके बाद वोटिंग उसी फरमान के आधार पर ही होती थी। इस दौरान अपना भय कायम करने गाहे बगाहे ग्रामीणों के साथ मारपीट की घटना को भी अंजाम दिया जाता था और यह घटना दावानल की तरह तराई में फैल जाती थी। जिसका असर वोटिंग में दिखता था।
इनके फरमानों ने लिखी प्रत्याशियों की किस्मत
तराई के कई कुख्यात डकैत सरगना रहे हैं जिनके फरमान पर डलने वाले वोट दशकों तक प्रत्याशियों की किस्मत लिखते आए हैं। इनमें शिवकुमार कुर्मी उर्फ ददुआ, अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया, दीपक पटेल, सुन्दर लाल उर्फ रामसिया पटेल, खरदूषण उर्फ रामप्रताप गोड़, भोला मवासी, चुन्नी लाल पटेल, सुंदर पटेल उर्फ रागिया, शिवशरण पटेल उर्फ शिवा, सुदेश पटेल उर्फ बलखडिय़ा, संता खैरवार, गौरी यादव, ललित पटेल, नवल धोबी, बबली कोल प्रमुख हैं। इन खूंखार डकैत गिरोहों के ज्यादातर सदस्य या तो एमपी-यूपी पुलिस की मुठभेड़
तराई के कई कुख्यात डकैत सरगना रहे हैं जिनके फरमान पर डलने वाले वोट दशकों तक प्रत्याशियों की किस्मत लिखते आए हैं। इनमें शिवकुमार कुर्मी उर्फ ददुआ, अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया, दीपक पटेल, सुन्दर लाल उर्फ रामसिया पटेल, खरदूषण उर्फ रामप्रताप गोड़, भोला मवासी, चुन्नी लाल पटेल, सुंदर पटेल उर्फ रागिया, शिवशरण पटेल उर्फ शिवा, सुदेश पटेल उर्फ बलखडिय़ा, संता खैरवार, गौरी यादव, ललित पटेल, नवल धोबी, बबली कोल प्रमुख हैं। इन खूंखार डकैत गिरोहों के ज्यादातर सदस्य या तो एमपी-यूपी पुलिस की मुठभेड़