Flashback 2018: विंध्य क्षेत्र में प्राकृतिक संपदाएं भरपूर, समृद्ध हो पर्यटन तो बढ़ें सैलानी, फिर मिले सुकून
प्राकृतिक धरोहर: सरकार दे ध्यान तो पूरा हो युवाओं के रोजगार का सपना

सतना। विंध्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। कई ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक, सामरिक महत्व के स्थल हैं। वहां जानकारी के अभाव में लोग पहुंच नहीं पा रहे हैं। जरूरत है तो सिस्टम को सुधारने की। जनतंत्र की थोड़ी सी पहल से पर्यटन को विकसित रूप दिया जा सकता है। अगर इनको संवारने की दिशा में सरकार द्वारा दो कदम बढ़ाए जाएं और पर्यटन के नक्शे में इन स्थलों को शामिल किया जाए तो युवाओं का रोजगार का सपना तो दूर होगा ही, देश में अपनी एक अलग ख्याति होगी।
विंध्य में कई रमणीय स्थल
विंध्य क्षेत्र को यूं तो पिछड़ा इलाका माना जाता है, मगर यह क्षेत्र प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है। यहां की प्राकृतिक छटां मनभावन होती है। यहां मैहर, धारकुंडी, चित्रकूट, मुकुंदपुर व्हाइट टागर सफारी, संजय गांधी टाइगर रिजर्व, रीवा में कई जलप्रपात सहित अन्य रमणीय स्थल हैं। सफेद बाघों का जब भी जिक्र होगा वह विंध्य के बिना पूरा नहीं हो सकता। यहीं से पहली बार जीवित अवस्था में सफेद बाघ का शावक पकड़ा गया।
सफेद बाघों का कुनबा बढ़ा
वंशवृद्धि के लिए दूसरी बाघिनें भी पकड़कर गोविंदगढ़ में रखी। इससे सफेद बाघों का कुनबा बढ़ा और दुनियाभर में नई पहचान मिली। विंध्य के गौरव को पहचान दिलाने के लिए पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह, बीबी सिंह, सर्वेश सोनी जैसे जुनूनी शख्सियतों ने कड़ा संघर्ष भी किया। वे कामयाब भी रहे। एक अनजाने प्रपात को पर्यटक नक्शे पर दर्ज कराने के लिए एक युवा लगातार छह साल तक परिश्रम करता रहा।
मैहर और चित्रकूट जैसे कई धार्मिक स्थल
यहां मैहर और चित्रकूट जैसे कई धार्मिक स्थल हैं, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। रीवा के जलप्रपातों को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी पहुंचते हैं। अब जरूरत है सैलानियों की सुरक्षा और सुविधा की। सरकार यदि इन पर्यटक स्थलों को विकसित करे तो सैलानियों की संख्या में और वृद्धि होगी। इससे बेरोजगार युवाओं के रोजगार का सपना तो पूरा होगा ही, साथ ही सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। एक कदम जनता को भी उठाना होगा, अतिथि देवो भव का।
1- मैहर
मैहर धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र है। यहां सालभर में पौने एक करोड़ पर्यटक मां शारदा के दर्शन करने पहुंचते हैं। साल में दो नवरात्र मेला लगता है। इस तरह मात्र 18 दिन के अंदर 30 लाख से ज्यादा भक्त मैहर पहुंच रहे हैं। अगर, इसे पर्यटन की दृष्टि से देखें तो मां के आशीर्वाद के भरोसे ही मैहर है। इसे विकास का मॉडल बनाया जा सकता है। इसके लिए चरणबद्ध रूप से ठोस पहल करने की जरूरत है। लेकिन, वर्तमान परिदृश्य में ऐसा होते नहीं दिख रहा है। निजी स्तर पर भी प्रयास की जरूरत है।
पर्यटन को मिला नाम
मैहर के आसपास एक दर्जन पर्यटन स्थल भी हैं। आल्हा तालाब और अखाड़ा, कुंजल तलैया, मड़ई, गोलमठ, चरणमंदिर, रामपुर, ओइला मंदिर, बड़ा अखाड़ा, दूल्हादेव, नकतरा डैम और पन्नीखोह जलप्रपात विशेष हैं। अगर इन्हें भी दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो मैहर पर्यटन को सुनियोजित रूप दिया जा सकता है। इसके लिए राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। जो वर्तमान परिदृश्य में नहीं दिख रही है।
2-धारकुंडी
धारकुंडी में प्रकृति की अनुपम छटा देखने को मिलती है। पर्वत की कंदराओं में साधना स्थल, दुर्लभ शैल चित्र, पहाड़ों से अनवरत बहती जल की धारा, गहरी खाइयां और चारों ओर से घिरे घनघोर जंगल के बीच महाराज सच्चिदानंद के परमहंस आश्रम ने पर्यटन और अध्यात्म को एक सूत्र में पिरोकर रख दिया है। यहां बहुमूल्य औषधियां और जीवाश्म भी पाए जाते हैं। माना जाता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर और दक्ष का प्रसिद्ध संवाद यहीं के एक कुंड में हुआ था, उसे अघमर्षण कुंड कहा जाता है।
सौंदर्य को दिया रूप
स्वामी परमानंद परमहंसजी के सान्निध्य में सच्चिदानंद महाराज ने चित्रकूट के अनुसूइया आश्रम में 11 वर्ष तक साधना की। इसके बाद सच्चिदानंद महाराज 1956 में यहां आए और अपनी आध्यात्मिक शक्ति से यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को आश्रम के माध्यम से एक सार्थक रूप दिया। उनके आश्रम में अतिथियों के लिए रहने और भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था है। वे अपने खेतों में उपजे अन्न से ही आगंतुकों को भोजन कराते हैं।
3- चित्रकूट
चित्रकूट में हर साल करीब दो करोड़ सैलानी पहुंचते हैं। इसके पीछे बड़ा कारण सालभर करीब एक दर्जन बार से ज्यादा लगने वाला अमावस्या मेला है। इसके अलावा दीपावली मेला भी खास है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शासन व निजी स्तर पर प्रयास नाकाफी हैं। हालांकि, सरभंगा, रामपथ गमन सहित कई क्षेत्रों को सहेजने के लिए शासकीय स्तर पर कवायद हुई। लेकिन, समय से पहले ही जिम्मेदार पीछे हट गए।
देशभर में दिलाई पहचान
चित्रकूट में मप्र के अलावा देशभर से पर्यटक आते हैं। हालांकि उप्र और बिहार के पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है। वहीं अत्र मुनि के आश्रम महाराष्ट्र के सैलानी भी पहुंचते हैं। चित्रकूट में तुलसीदास तपोस्थली, सरभंगा आश्रम, रामवन पथ गमन सहित कई क्षेत्र ऐसे हैं, जिन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की जरूरत है। ऐसा करते हैं तो क्षेत्र के विकास के लिए बड़ा मॉडल चित्रकूट बन सकता है। ऐसे कई मौके आए हैं, जब चित्रकूट का जनमानस स्थानीय मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरा है। इसका असर भी दिखा है, प्रशासन के माथे पर बल पड़ा है। इससे क्षेत्र के विकास को दिशा तक मिली है। लेकिन, जैसे समय गुजरा, प्रशासन व सरकार पुराने ढर्रे पर काम करने लगे। इसे समझना होगा, तभी विकास संभव है।
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