नए आदेश के तहत एडीएम कोर्ट में विवाह के लिए अथवा विवाह पंजीयन का प्रमाण पत्र तभी मिलेगा जब दम्पतियों पौधरोपण करेंगे, इसे आदेश निकालकर अनिवार्य कर दिया गया है। वही पौधरोपण की तस्दीक की जिम्मेदारी पटवारियों को दी गई है। अपर कलेक्टर ने यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के तहत हरियाली बढ़ाने के लिए की जा रही है। मध्य प्रदेश में यह अनोखी पहल सबसे पहले सतना जिले में लागू की गई है।
अपर कलेक्टर राजेश शाही ने नवाचार करते हुए कोर्ट मैरिज के लिए आने वाले कपल के लिए पौधरोपण अनिवार्य कर दिया है। प्रशासन की इस पहल से नव विवाहित जोड़े पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने में सहायक तो होंगे ही साथ ही विवाह के साथ एक सुखद यादगार भी हमेशा साथ होंगी।
नए आदेश के तहत कपल को पांच फलदार पौधे किसी सुरक्षित स्थान पर लगाने होंगे और उनकी फोटो - वीडियो को अपर कलेक्टर को दिखाना होगा। कपल को केवल प्लांटेशन ही नहीं करना है उसके साथ ही उन पौधों की देखभाल और संरक्षण करने संकल्प भी लेना होगा। प्रशासन के नए आदेश के बाद से अब तक 38 कोर्ट मैरिज हुई है इन नव जोड़े 190 फलदार पौधे लगाए हैं। प्लांटेशन के बाद नव दम्पति भी खुश हैं।
अपर कलेक्टर के मुताबिक नए शादीशुदा जोड़े अगर पौधारोपण करते है और उसकी संरक्षण करते हैं तो इससे पर्यावरण संरक्षण में बहुत मदद मिलेगी इसके साथ ही नव दंपत्ति के लिए जीवन की सुखद यादों के रूप में वह फलदार पौधे रहेंगे। इसी सोच को लेकर विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करने अथवा विवाह करने आने वाले जोड़ों को इस पहल से जोड़ा और बहुत अच्छे नतीजे आए हैं। हालांकि प्रशासन ने इसके लिए किसी पर कोई दबाव नहीं डाला है। इसे आने वाले कपल खुशी - खुशी स्वीकार भी कर रहे हैं।