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पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह को न्यायालय से मिली क्लीन चिट

locationसतनाPublished: May 18, 2019 01:27:24 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज किया था प्रकरण
 

Former minister Rajendra Singh gets clean chit from court

Former minister Rajendra Singh gets clean chit from court

सतना. विशेष न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह को दोषमुक्त करते हुए क्लीन चिट दे दी है। भ्रष्टाचार के इस बहुचर्चित मामले में सिंह की राजनीतिक साख पर काफी असर पड़ा था और लगातार वे विवादों में घेरे जाते रहे हैं।
जानकारी के अनुसार विशेष स्थापना लोकायुक्त ने 1998 में इंदौर के सी-21 मॉल निर्माण की गलत तरीके से अनुमति देने के मामले में राजेन्द्र कुमार सिंह पर प्रकरण कायम किया था। इंदौर की स्कीम नंबर 54 की 26.5 एकड़ भूमि के मामले में लोकायुक्त ने राजेन्द्र कुमार सिंह सहित अन्य 15 लोगों के ऊपर धारा 13(1)डी, 13(2), भ्र.नि.अधि. के तहत 120बी, तथा धारा आइपीसी 34 तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। 21 साल तक चले इस प्रकरण में 16 मई को एमपी/ एमएलए विशेष न्यायालय भोपाल ने राजेन्द्र कुमार सिंह सहित अन्य 15 लोगों को दोषमुक्त करार दिया है। न्यायालय ने कहा कि राजेन्द्र कुमार सिंह के कार्यकाल में संपूर्ण भूमि सरकार के अधिपत्य में बनी रही जो आज भी है।
यह है मामला

इंदौर विकास प्राधिकरण ने किसी स्कीम नं 54 में तहत प्रायवेट लैंड का अधिग्रहण 1964 में किया था। इस प्रकरण के पीडि़त परिवार ने लोअर कोर्ट में मामले की अपील की थी। 1995 में बीआर यादव जो कि पर्यावरण विभाग के मंत्री थे उन्हें एक समझौते के तहत 6.5 एकड़ जमीन पीडि़त परिवार को वापस करने का सुझाव दिया था किन्तु जब इन्दौर विकास प्राधिकरण ने इस पर कोई रुचि नही दिखाई तो पीडि़त परिवार उच्च न्यायालय में मामले की अपील की जिसमें न्यायालय ने इस बात को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार को 2 महीने में मामले का निराकरण करने का आदेश दिया। जिसमें 1998 में राजेन्द्र कुमार सिंह सहित अन्य 15 लोगों के खिलाफ लोकायुक्त ने गलत तरीके मामला पंजीबद्व किया था। यह जमीन आज की तारीख तक सरकार के पास यथावत बनी हुई है कभी भी मुक्त नहीं हुई है।
राजनीतिक द्वेष के तरह हुई कार्रवाई

मामले में राजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा, यह पूरी कार्रवाई राजनीतिक द्वेष के तहत गई थी। विरोधियों ने साजिश रचते हुए उनकी राजनीतिक हत्या करने की तैयारी की थी लेकिन वे सफल नहीं हो सके। देर से ही सही लेकिन सत्य एक बार फिर विजयी हुआ।
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