मैहर के बराखुर्द गांव निवासी साढ़े चार वर्षीय मासूम निशा कुशवाहा को २-३ अगस्त की दरम्यानी रात अचानक बुखार आई। मां ने घरेलू उपचार किया, जब आराम नहीं मिला तो गांव में झोलाछाप डॉक्टर गुड्डू उरमलिया को इलाज के लिए बुलाया। उसने मासूम को दो दवाइयां दी और इंजेक्शन लगाया। मां को आश थी कि उसकी बेटी ठीक हो जाएगी, लेकिन हुआ उल्टा। इलाज के बाद मासूम की तबीयत बिगडऩे लगी। जिस अंग पर इंजेक्शन लगाया गया था वह पक गया।
सरकारी अस्पताल ले जाने दबाव देकर रोका मां ने झोलाछाप को बताया और सरकारी अस्पताल इलाज कराने ले जाने लगी तो उसने रोक लिया। कहा, कहीं ले जाने की जरूरत नहीं है। दबाव देकर घर लौटा दिया। लेकिन, धीरे-धीरे मासूम के पूरे शरीर पर घाव होने लगे। पिता शिवकुमार कुशवाहा मुम्बई में रहकर मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता है। उसे जब बेटी के बीमार होने की जानकारी लगी तो वह गांव पहुंचा। मासूम की हालत देख शिवकुमार घबरा गया। गांववालों को जानकारी दी। उनके परामर्श पर वह बेटी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। मासूम को शिशु रोग वार्ड में दाखिल कराया गया है। वहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
रक्त संक्रमण का शिकार हुई मासूम विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो मासूम झोलाछाप डाक्टर के गलत इलाज से सेप्टीसीमिया रक्त संक्रमण का शिकार हो गई है। इससे उसकी छाती के नीचे के हिस्से में कई जगह घाव हो गए हैं। शरीर में एक प्रकार से गलन पैदा हो गई है। यह रक्त संक्रमण का घातक मर्ज होता है। शरीर के कई अंग तंत्र प्रभावित हो सकते हैं। रक्तदाब तेजी से गिर सकता है। ऑर्गेन फेलियर हो सकता है।
झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
कलेक्टर सतेंद्र सिंह ने कहा सीएमएचओ को झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। परिजनों से शिकायत मिली तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एफाआइआर दर्ज करा सख्त कार्रवाई कराई जाएगी।