शासन का नियम है, भंडारण के लिए न्यूनतम दूरी वाले गोदामों का चयन किया जाना चाहिए। इस स्थिति में अन्य जिलों में खाली गोदामों की स्थिति देखें तो सतना से महज 75 किमी की दूरी पर उमरी भेडरहा कैप है। इसकी भंडारण क्षमता 20 हजार मीट्रिक टन है। पन्ना जिले का गुनौर एसडब्लूसी ओपन कैप भी भंडारण के लिए उपलब्ध है। इसकी क्षमता 15 हजार मीट्रिक टन है। इसकी दूरी सतना से 75 किलोमीटर है। इसके बाद कटनी जिले के बड़वारा कैप विपणन संघ में 20 हजार मीट्रिक टन क्षमता की उपलब्धता है, जिसकी दूरी 100 किमी है। इनके बाद सिंगरौली का महुआ पीइजी गोदाम आता है। इसकी दूरी 270 मीट्रिक टन है। इसकी भंडारण क्षमता रीवा, पन्ना और कटनी के भंडारण स्थलों से काफी कम 5000 मीट्रिक टन है। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि 75 किमी दूर भंडारण व्यवस्था मौजूद होने के बाद भी 270 किमी दूर क्यों भेजा जा रहा है।
सतना से सिंगरौली गए गेहूं की अनलोडिंग बड़ी समस्या बन कर सामने आ गई है। अनलोडिंग में हो रहे विलंब को देखते हुए परिवहनकर्ता ने गेहूं भेजने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इस पर डीएम नान सिंगरौली को स्थिति से अवगत कराते हुए अनलोडिंग तेज कराने कहा गया है। दरअसल, 31 मई को जिले से 13 ट्रक गेहूं की पहली खेप लेकर सिंगरौली पहुंचे थे। इसमें से 7 ट्रकों की अनलोडिंग नहीं हो पाई थी। इस विलंब से हो रहे नुकसान को देखते हुए परिवहनकर्ता ने गेहूं परिवहन से हाथ खड़े कर दिए। इस पर जिला विपणन अधिकारी ने सिंगरौली के जिला प्रबंधक नान को ताकीद की है कि सतना से भेजे गए गेहूं को प्राथमिकता के आधार पर अनलोड करने की प्रक्रिया की जाए।
10 से 15 जून के बीच जिले वाला खाद्यान्न आवंटन जारी होने वाला है। समान्य तौर पर जिले का आवंटन 10 हजार मीट्रिक टन होता है। इस तरह दो माह का आवंटन ही अधिक गेहूं के बराबर होगा। अगर जिला प्रशासन चाहे तो शासन से अपने आवंटन की जानकारी और अनुमति लेकर सीधे केन्द्रों में ही भिजवा सकता है। इससे परिवहन और भण्डारण दोनों की समस्या समाप्त हो जाएगी और शासन के करोड़ों रुपए बच जाएंगे।
अधिकारियों का कहना है, गेहूं का भण्डारण सिंगरौली में कराने का निर्णय प्रमुख सचिव खाद्य का है। उनके निर्देशानुसार ही यह किया जा रहा है। लेकिन अधिकारी चुप्पी साध गए कि बिना दूरी जाने क्यों और किसकी सलाह पर रीवा में उपलब्ध भंडारण से दोगुनी से ज्यादा दूरी सिंगरौली में भंडारण करने के आदेश दिए। जबकि इसमें ज्यादा समय और ज्यादा राशि लगनी है।
जानकारों का कहना है कि गत वर्ष की परिवहन दर के औसत के हिसाब से देखा जाए तो गत वर्ष का परिवहन औसत जिले का 490.20 रुपए प्रति टन पड़ा था। इसमें सतना जिले के बाहर नहीं था। इस हिसाब से अगर देखें तो इस अधिक गेहूं के परिवहन की लागत सवा करोड़ रुपए से ज्यादा की पड़ेगी। साथ ही समय भी ज्यादा लगेगा। ऐसे में चपत लगनी तय है।
इधर लोगों का कहना है कि जो समस्या सिंगरौली में परिवहनकर्ता को झेलनी पड़ रही है वही समस्या परिवहनकर्ता द्वारा यहां के खरीदी केंद्रों में बनाई जा रही थी। इससे उठाव नहीं होने से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
श्याम मिश्रा, डीएमओ
मुकेश शुक्ला, कलेक्टर