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तुलसीदास महोत्सव: आदिवासी लोक कला पर आधारित गीतों ने कार्यक्रम में बांधा समा, ये प्रस्तुत रही आकर्षण का केन्द्र

locationसतनाPublished: Nov 10, 2018 02:55:01 pm

Submitted by:

suresh mishra

तुलसीदास के जीवन प्रसंगों पर प्रस्तुति, तीन दिवसीय तुलसी उत्सव का समापन

Goswami Tulsidas Three day mahotsav in chitrakoot

Goswami Tulsidas Three day mahotsav in chitrakoot

सतना/चित्रकूट। भगवान श्रीराम की कर्मस्थली में दीपदान मेले के दौरान तीन दिवसीय तुलसी उत्सव का आयोजन किया गया। आदिवासी लोक कला, बघेली बोली विकास अकादमी भोपाल व तुलसी शोध संस्थान चित्रकूट के संयुक्त तत्वाधान में यह कार्यक्रम 6 नवंबर को शुरू हुआ था। 8 को इसका समापन हुआ। कलाकरों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी।
कुलकमल दास रामायणी मंगल चरण रहे। वहीं कुछ कलाकारों ने तुलसीदास जी के जीवन पर आधारित नाट्यिका का मंचन किया। विनय त्रिपाठी, उमेश त्रिपाठी, सतेंद्र कुमार, एके सिंह, राजेश शुक्ला, सुभाष पांडेय, नीलम सिंह, संत भौरवदास ने राम पर अधारित भजन प्रस्तुत किए।
जनकल्याण में जाता है धार्मिक संदेश
पुष्पा रामायणी ने हनुमत कथा पर प्रकाश डाला। अर्चना पांडेय व उनकी टीम ने रामायण पर अधारित गीतों की प्रस्तुति दी। इसके अलावा कथा के माध्यम से तुलसी अधारित अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए। समापन सत्र का शुभारंभ युवराज बद्रीप्रसाद प्रपन्नाचार्य ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जलित कर किया। उन्होंने कहा, शासन स्तर पर जो भी धार्मिक कार्य किए जाते हैं, वह प्रसंशनीय हैं। इससे जनकल्याण के साथ धार्मिक संदेश जाता है।
अमरपाटन: भगवान चित्रगुप्त पूजा
मैहर मार्ग स्थित अभय आश्रम के पास भगवान चित्रगुप्त की पूजा की गई। अभिषेक निगम ने बताया, कायस्थ समाज दिवाली से भाई दूज तक पेन व पेंसिल का उपयोग नहीं करते। बताया कि भाइदूज पर भगवान की चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस दौरान पेंन और पेंसिल की पूजा कर चित्रगुप्त नम: लिखकर इनका उपयोग शुरू किया जाता है।
अमदरा: ग्वाल समाज के लोग कर रहे मनोरंजन
दीपावली पर्व को लेकर क्षेत्र में दिवारी नृत्य इन दिनों आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ग्वाल समाज के लोग गांव-गांव जाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। बताया गया यह उनकी पुरानी परंपरा है। इससे पहले दीपावली पर लोगों ने अपने घरों को रंगोली व झलरों से आकर्षक रूप दिया। घर में लक्षमी-गणेश की पूजा की गई। बच्चों ने पटाखे फोड़कर खुशी का इजहार किया। त्योहार को लेकर बाजार में खासी चहल-पहल देखने को मिली। दूसरे दिन गोर्वर्धन पूजा की गई।

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