सतना

GST anniversary: जीएसटी लागू होने से व्यापारियों की चांदी, आम आदमी को नहीं मिली राहत

जीएसटी के एक साल: सरकार को आमजन से ज्यादा व्यापारियों की ङ्क्षचता, कई बार किया संशोधन

सतनाJul 01, 2018 / 02:21 pm

suresh mishra

GST 1st anniversary: special story on GST from Satna-rewa

रीवा। देशभर में लागू जीएसटी के एक वर्ष पूरे हो गए है। इस एक साल में टैक्स वसूल रही सरकारों से आम जनता को कोई राहत नहीं मिली है जबकि व्यापारियों का मुनाफा और बढ़ गया है। दिक्कत सिर्फ इतनी है कि उनका कागजी वर्क बढ़ा है। जीएसटी लागू करते समय सरकार ने आम आदमी को टैक्स कम होने से महंगाई घटने व दैनिक उपयोग की वस्तुओं के सस्ता होने का सपना दिखाया था।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, बल्कि किराना सामग्री, दवा, फुटवेयर, कपड़ा व मोबाइल रिचार्ज व सर्विस भी महंगी हो गई है। सरकार के टैक्स कम करने के बाद भी इन चीजों के दाम घटने की बजाय बढ़ गए हैं। वहीं व्यापारियों के विरोध को देखते हुए पिछले एक साल में सरकार ने जीएसटी काउंसिल की २७ बैठक कर कई संशोधन कर चुकी है।
3000 हजार बढ़े नए करदाता
जीएसटी लागू होने के बाद पिछले एक साल में तीन से ज्यादा नए करदाताओं ने पंजीयन कराया है। इससे पहले वैट अधिनियम में रीवा में 3500 व्यापारी पंजीकृत थे लेकिन जीएसटी के बाद करदाता व्यापारियों की संख्या 6500 से ज्यादा पहुंच गई है। वहीं राजस्व भी 15 प्रतिशत तक बढ़ा है।
पोर्टल में उलझे रहे
जीएसटी लागू होने के बाद बनाए गए पोर्टल में व्यापारी पूरे साल उलझे रहे। दरअसल, लगातार संशोधन के कारण रिटर्न भरने के दौरान व्यापारियों को कई कठिनाइयों को सामना करना पड़ा। वहीं छोटे व बड़े व्यापारियों का वर्क लोड भी बढ़ गया।
एंटी प्रॉफिट पर चुप्पी
जीएसटी में टैक्स रेट घटाने के बाद आमजन को राहत देने के लिए एंटी प्रॉफिट एक्ट बनाया गया लेकिन इसके पालन को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। परिणामस्वरूप टैक्स स्लैब घटने के बाद कंपनियों ने उसे प्रॉफिट में बदल दिया।
जीएसटी से टैक्स घटे लेकिन बाजार में वस्तुओं के दाम नहीं घटे। आम आदमी की उम्मीदों पर जीएसटी खरा नहीं उतरी है। सरकार बढ़ते दामों पर अंकुश लगाने में असफल रही है।
पायल निगम, गृहिणी
जीएसटी लागू होने से आम आदमी को कोई भी राहत नहीं मिली है। बल्कि टैक्स कम होने के बाद कंपनियों ने दाम और भी बढ़ा दिए है। जिससे महंगाई और बढ़ गई।
बृजकिशोर सिंह तिवारी
जीएसटी लागू होने के बाद सब कुछ ऑनलाइन होने से पारदर्शिता आई है और इसका फायदा भी मिल रहा है। लेकिन वर्क लोड बड़ा है। छोटे व्यापारियों को तीन महीने में रिटर्न फाइल करने के कारण क्रेडिट लेने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
सुनील सिंह, चेयरमैन बद्रिका ग्रुप
दवा में 7 प्रतिशत टैक्स था लेकिन जीएसटी में यह १२ प्रतिशत हो गया है। इससे दवा की कीमतें बढ़ी हैं। इससे मरीजों को फायदा नहीं मिल पाया है लेकिन व्यापारियों का जीएसटी से मुनाफा हो रहा है।
गुलशन चड्डा, दवा व्यापारी
जीएसटी के बाद दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे क्रीम, साबुन, शैंपू, ड्राई फुड, टूथपेस्ट आदि महंगे हुए है। जीएसटी से व्यापारी को अफसरशाही से बड़ी राहत मिली है।
राजेश बाधवानी, किराना व्यवसायी

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