टू व्हीलर चलाते समय डोर ज्यादातर गले में आ फंसती है। इससे बचने के लिए गले पर स्कार्फ या मफलर लपेटकर रखें। ध्यान रखें, हेलमेट बिना कांच वाला न हो। कांच को लगाकर ही चलें। गाड़ी की स्पीड 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक न रखें।
टू व्हीलर पर आगे लोहे का गार्ड लगवाएं। संक्रांति के कुछ दिन बाद इसे हटवा लें। 3. सड़कों पर पतंग न लूटें, न लूटने दें
हादसे डोर ही नहीं, सड़कों पर पतंग लूटने के कारण भी सामने आते हैं। ऐसे में पतंग लूटने के लिए दौड़ें नहीं। सड़कों पर कटी पतंग के पीछे दौडऩे से बच्चों को रोकें। पतंगबाजी के बाद बची डोर को यहां-वहां न फेंकें। उसे कूड़ेदान में डालें। आसपास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें।
टू व्हीलर चलाते समय कई बार लोग छोटे बच्चों को आगे बैठाते हैं लेकिन यह ठीक नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई गम्भीर हादसे सामने आए हैं, जब बाइक पर आगे बैठे बच्चों के गले में डोर आ फंसी।
ऐसी छत पर पतंग न उड़ाएं, जहां बाउंड्रीवॉल न हो या उसकी ऊंचाई कम हो। बच्चे जब छत पर हों, उन्हें अपनी निगरानी में ही पतंग उड़ाने दें।
पतंग-डोर विक्रेता अपने प्रतिष्ठान पर इसकी कटिंग भी चस्पा कर सकते हैं। इसके माध्यम से वहां आने वाले लोगों को जागरूक किया जा सकता है। बेजुबानों का रखें ध्यान
– पक्षियों की अधिक उपस्थिति वाले क्षेत्रों में पतंग उड़ाने से बचें। मांझे का उपयोग कतई न करें।
– डोर में कोई पक्षी उलझ जाए तो डोर ढीली छोड़ दें।
– यदि कोई पक्षी घायल अवस्था में नजर आए तो तुरन्त मदद के हाथ बढ़ाएं।
– सुबह और शाम पतंगबाजी से बचें। इस समय पक्षियों का आवागमन रहता है।