जांच टीम में शामिल स्वास्थ्य अधिकारी हकीकत सामने लाने की बजाए पर्दा डालने में जुटे हुए हैं। लापरवाहों को बचाने जानबूझकर रिपोर्ट सौंपने में विलंब किया जा रहा है। जिससे मामला ठंडे बस्ते में चला जाए और किसी के खिलाफ कार्रवाई न हो पाए। जांच टीम द्वारा बरती जा रही लापरवाही की जानकारी कलेक्टर, सीएमएचओ, डीएचओ सहित अन्य जिम्मेदारों को है लेकिन संरक्षण के चलते सभी मौन हैं।
महकमे के द्वारा मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने अनेक अभियान और योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन हकीकत यह है कि स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती को प्राथमिक इलाज भी बेहतर नहीं मिल पा रहा है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से इलाज में लापरवही के रोजाना मामले सामने आ रहे हैं। नतीजन मातृ-शिशु मृत्यु दर का ग्राफ कम नहीं हो पा रहा है।
गर्भवती वंदना द्विवेदी पत्नी कृष्णकुमार द्विवेदी निवासी भरगवां हिरौंदी, मझगंवा के साथ जिला अस्पताल ओटी में ७ अपे्रल को डॉ केएल सूर्यवंशी द्वारा मारपीट का आरोप था। जिससे गर्भवती की आंख में खून जम गया था। कलेक्टर के निर्देश पर जांच के लिए टीम गठित की गई।
कलेक्टर सतेंद्र सिंह की सख्ती के बाद सीएस डॉ एसबी सिंह ने तीन सदस्यीय टीम बनाई। जिसमें शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील कारखुर, आरएमओ डॉ अरुण त्रिवेदी और अस्पताल प्रशासक इकबाल सिंह को शामिल किया गया।
टीम को तीन दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए। लेकिन टीम में शामिल स्वास्थ्य अधिकारी जांच के नाम पर खानापूर्ति करने में जुटे हुए हैं। पीडि़त द्वारा लिखित कथन नहीं दिए जाने की बात कहकर सच्चाई पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है।
सिविल अस्पताल मैहर से गर्भस्थ शिशु को गंभीर बता मोहिनी चौधरी पति रविदास चौधरी निवासी महाराज नगर मैहर ६ अपे्रल की देर रात जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। जिसे लेकर आ रही जननी एक्सप्रसे उचेहरा रेवले फाटक के पास पंचर हो गई थी। गर्भवती ने सड़क पर बच्ची को जन्म दिया था।
सीएमएचओ डॉ विजय कुमार आरख ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की। जिसमें जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ सत्येंद्र सिंह, गायनी विभागाध्यक्ष डॉ रेखा त्रिपाठी, डीपीएचएनओ उमा वर्मा को शामिल किया गया था। जांच की स्थिति-
सीएमएचओ डॉ आरख ने टीम को जांच प्रतिवेदन अभिमत सहित ९ अपे्रल तक सौंपने के निर्देश दिए थे। लेकिन १५ अप्रेल तक जांच प्रतिवेदन नहीं सौंपा गया है। जांच टीम द्वारा लापरवाहों को बचाने प्रतिवेदन में सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं होने का हवाला देकर टाला जा रहा है।