बता दें, सभागायुक्त अशोक भार्गव के निर्देश पर संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ एसके सालम ने दो सदस्यीय जांच टीम गठित की थी। जिसमें डिप्टी डायरेक्टर एनपी पाठक और संभागीय समन्वयक अभय पाण्डेय को शामिल किया गया था। टीम ने शनिवार से मामले की जांच आरंभ की थी। इस दौरान गायनी विभागाध्यक्ष डॉ रेखा त्रिपाठी, डॉ शांति चहल और गर्भवती वंदना द्विवेदी की सर्जरी के दौरान मौजूद डॉ एके तिवारी के बयान नहीं हो पाए थे। तीनों चिकित्सकों सहित एक स्टाफ नर्स को दो सदस्यीय जांच टीम ने सोमवार को रीवा पहुंच बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।
चिकित्सकों ने किया साथी डाक्टर का बचाव-
जांच टीम की सख्ती के बाद गायनी विभागाध्यक्ष डॉ रेखा त्रिपाठी, डॉ शांति चहल, डॉ एके तिवारी सहित एक स्टाफ नर्स बयान दर्ज कराने संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य कार्यालय रीवा पहुंचे। सूत्रों की मानें तो चिकित्सकों ने जांच टीम को बयान दिए कि जिला अस्पताल ओटी में गर्भवती को पीटा नहीं गया है। इंजेक्शन लगाते समय टेबिल का कोना उसे लग गया था। जबकि पीडि़ता ने पत्रिका को बताया था कि चिकित्सक सहित स्टाफ द्वारा ओटी में मारपीट की गई है। चोट लगने की वजह से ही आंख में खून जम गया था।
जांच टीम की सख्ती के बाद गायनी विभागाध्यक्ष डॉ रेखा त्रिपाठी, डॉ शांति चहल, डॉ एके तिवारी सहित एक स्टाफ नर्स बयान दर्ज कराने संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य कार्यालय रीवा पहुंचे। सूत्रों की मानें तो चिकित्सकों ने जांच टीम को बयान दिए कि जिला अस्पताल ओटी में गर्भवती को पीटा नहीं गया है। इंजेक्शन लगाते समय टेबिल का कोना उसे लग गया था। जबकि पीडि़ता ने पत्रिका को बताया था कि चिकित्सक सहित स्टाफ द्वारा ओटी में मारपीट की गई है। चोट लगने की वजह से ही आंख में खून जम गया था।