scriptप्रसव के बाद 150 किमी पैदल चली शकुंतला, उचेहरा में स्वास्थ्य सुविधा | Health facility at Shakuntala, Uchehra, walking 150 km after delivery | Patrika News

प्रसव के बाद 150 किमी पैदल चली शकुंतला, उचेहरा में स्वास्थ्य सुविधा

locationसतनाPublished: May 13, 2020 07:30:25 pm

Submitted by:

Pushpendra pandey

मिसाल: मजबूर मां के नहीं डिगे कदम, घर पहुंचते ही छलके खुशी के आंसू

प्रसव के बाद 150 किमी पैदल चली शकुंतला, उचेहरा में स्वास्थ्य सुविधा

प्रसव के बाद 150 किमी पैदल चली शकुंतला, उचेहरा में स्वास्थ्य सुविधा

सतना. प्रवासियों के घर वापसी की दर्द भरी कहानियां सामने आ रही हैं। इन सबसे अलग है शकुंतला की कहानी। ग्राम पंचायत इटहा खोखर्रा के बोदा टोला निवासी शकुंतला पति राकेश कोल के साथ नासिक गई थी। लॉकडाउन में पति की नौकरी चली गई। जो कुछ बचा था वह भी खत्म होने लगा। भूखों मरने की स्थिति बनी तो अपने क्षेत्र के अन्य लोगों के साथ जत्थे में 8 माह की गर्भवती शकुंतला निकल पड़ी अपने घर के लिए। 70 किमी चलने के बाद प्रसव पीड़ा हुई और बच्चे को जन्म दिया। लगभग एक घंटे रुकने के बाद फिर से यह मां जत्थे के साथ निकल पड़ी। महाराष्ट्र-एमपी के बिजासन बार्डर तक 150 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने के बाद महिला एसआई की नजर पड़ी तो एकलव्य छात्रावास में ले जाकर उसके लिए भोजन-पानी का इंतजाम किया। अगले दिन इन्हें बस से सतना के लिए रवाना किया गया। मंगलवार को शकुंतला गांव पहुंची तो खुशी के छलक पड़े।
राकेश ने बताया कि नासिक में उनकी फैक्ट्री का काम बंद हो चुका था। सेठ ने भी घर जाने को कह दिया था। यहां गांव के आसपास के अन्य लोग भी थी। सभी ने निर्णय लिया कि वाहन तो मिल नहीं रहे हैं। लिहाजा पैदल ही घर चला जाए। सबसे बड़ी समस्या 8 माह की गर्भवती पत्नी शकुंतला थी कि वह कैसे इस स्थिति में चलेगी। लेकिन उसने हौसला दिखाया और कहा कि वह चल लेगी। तब उसे और अपने चार बच्चों को लेकर सतना के लिए निकल पड़े।
70 किलोमीटर चलने पर प्रसव पीड़ा
70 किमी. चले होंगे कि पिपरी गांव के शकुंतला को प्रसव पीड़ा होने लगी। हालत बिगड़ती देख साथ चल रही महिलाओं ने सड़क किनारे साडिय़ों की आड़ बनाई और यहां बच्चे का जन्म हुआ। लगभग एक घंटे रुकने के बाद इस तेज गर्मी में बीच बियावान रास्ते रुकने से बेहतर चलने का निर्णय सभी ने लिया। शकुंतला से भी पूछा गया तो उसने सहमति जताई। इसके बाद शकुंतला ने आगे का सफर शुरू किया। 160 किलोमीटर का पैदल सफर कर पांचवे दिन ये लोग बिजासन बार्ड पहुंचे। जब बार्डर में अपनी जांच की बारी का इंतजार कर रहे थे, तभी एक महिला पुलिस अधिकारी कविता कनेश उनके पास आईं और पूरी स्थिति पता की। फिर वहां की एक बड़ी बिल्डिंग (एकलव्य छात्रावास) ले गईं।
बस से हुए रवाना
राकेश के अनुसार 11 मई को वहां के (बड़वानी) के अधिकारियों ने एक बस से सभी लोगों को अपने-अपने घरों के लिए रवाना किया। बस में अलग-अलग जगह के लोग बैठे थे। लिहाजा सभी को छोड़ते-छोड़ते बस बढ़ रही थी। पहला बड़ा स्टाप जबलपुर के पास हुआ। यहां कुछ देर सुस्ताने के लिए सभी लोग रुके। इसके बाद फिर बढ़े। सोमवार की रात कटनी के आगे सब लोग रुके। जब भोर हुई तो सब लोग नित्य क्रिया से फुर्सत होकर आगे बढ़े। झुकेही बार्डर में स्क्रीनिंग हुई। लगभग एक घंटे रुकने के बाद साढ़े 8 बजे के लगभग यहां जांच पूरी कराने के बाद आगे बढ़े और उचेहरा पहुंचे।
पहली बार सतना में नसीब हुआ अस्पताल
शकुंतला ने बताया, बच्चे के जन्म के बाद कहीं अस्पताल नहीं मिला। उचेहरा पहुंचे तो एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। यहां जांच हुई। डॉक्टरों ने देखा और इलाज शुरू किया। देर शाम सब ठीक मिलने पर छुट्टी कर घर पहुंचाया गया। कलेक्टर ने भी बड़ी मदद की है। घर पहुंची शकुंतला अपनों को देख खुशी से रो पड़ी। हालांकि परिवार वालों को सलाह दी गई कि 14 दिन तक सभी उससे दूरी बनाए रखें।
10 हजार की सहायता, दो किलो पौष्टिक लड्डूू
कलेक्टर अजय कटेसरिया ने बताया कि महिला को रेडक्रास से 10 हजार रुपए की दी गई है। परिवार को २० दिन का राशन का पैकेट, साबुन, शक्कर, सेनिटाइजर दिया गया है। महिला बाल विकास विभाग की ओर से शकुंतला को २ किलो पौष्टिक लड्डू दिए गए हंै।
मजबूती से हैरान महकमा
जांच में मिला कि पैदल सफर फिर बस से यात्रा के बाद भी शकुंतला में कमजोरी नहीं है। बच्चे के जन्म के बाद भी और अभाव में रहने के बाद भी उसका हीमोग्लोबिन 10 फीसदी है। विभाग हैरान था कि महिला इतनी स्वस्थ कैसे है। नवजात सहित उसके चार अन्य बच्चे भी पूरी तरह से स्वस्थ है।
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