आलम यह है कि जिला अस्पताल में बनाई गई फीवर क्लीनिक में सन्नाटा पसरा रहा। क्लीनिक में बैठी स्वास्थ्यकर्मी से प्रमुख सचिव ने फीवर क्लीनिक के काम से संबंधित कुछ जानकारियां हासिल करने की कोशिश की तो उन्हें कुछ भी पता नहीं। फीवर क्लीनिक में काम करने वाले डॉक्टर के पास इसका कोई रिकार्ड नहीं कि अब तक कितने मरीज आए, क्या जांच हुई, कितने संक्रमित मिले। इसके बाद प्रमुख सचिव ने सीएस डॉ प्रमोद पाठक प्रभारी सीएस डॉ एसपी शर्मा की जमकर क्लास ली। यहां तक कहा कि यहां बैठे लोगों को अगर कोई तकनीकी जानकारी नहीं तो उसके लिए वो नहीं बल्कि आप लोग जिम्मेदार हो क्योंकि आपने इन्हें कुछ बताया नहीं, सिखाया नहीं।
जिला अस्पताल का फीवर क्लीनिक तो बीमार मिला ही, टेलीमेडिसिन क्लीनिक का भी वही हाल। मेडिसिन स्पेसलिस्ट को यह तक पता नहीं कि यहां कितने लोगों का इलाज हुआ, कितने लोगों को परामर्श दिया गया, कितने लोगों को कॉल किया गया। प्रमुख सचिव ने ट्रामा यूनिट में निर्माणाधीन स्पेशल आईसीयू का निरीक्षण भी किया। वहां एसई मधुसूदन खरे ने आईसीयू की ड्राइंग और डिजाइन दिखाई। प्रमुख सचिव ने कहा आईसीयू हर हाल में 30 जून के पहले तैयार हो जाना चाहिए।
प्रमुख सचिव जब स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों संग बैठक करने बैठे तो पता चला कि जिला अस्पताल में कैंसर की दवा ही नहीं है। तब उनका पारा चढ़ गया। कहा कि इसकी भी जिम्मेदारी प्रमुख सचिव की है क्या। अलबत्ता कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर चल रही कवायद से वह संतुष्ट दिखे। फिर भी हिदायत दी कि कोरोना से बचाव व उपचार के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। पॉजिटिव केस मिलने पर उसके पांच दिन की कांटैक्ट हिस्ट्री जरूर पता की जाए। कंटेन्मेंट एरिया में तैनात सर्वे दलों से संदिग्ध व्यक्तियों की रोजाना जानकारी ली जाए।
ताकीद किया कि सर्वे दल में एएनएम को शामिल न किया जाए। वेंटिलेटर लगाने, कोरोना जांच सहित अन्य बीमारियों की जांच संबंधी उपकरणों के संचालन तथा उपचार का प्रशिक्षण देने पर जोर दिया। साथ ही बच्चों व गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए अभियान चलाने की हिदायत दी।