ब्लैक काऊ पश्चिमी देशों में प्रसिद्ध एवं फ्लेवर वाली आइसक्रीम है। इस आइक्रीम के अविष्कार का श्रेय कोप्पल क्रीक कोलोराडो के फ्रैं क जे विस्नर को जाता है। उन्होंने अगस्त 1893 में इस आइसक्रीम को पहली बार बनाया था। इसके अविष्कार की कहानी यह है कि एक रात क्रिम्पल क्रीक माउंटेन गोल्ड माइनिंग कंपनी के मालिक विस्नर खिड़की से बाहर घूर रहा था और क्रोडल क्रीक के नागरिकों के लिए उत्पादन कर रहे सोडा वाटर की लाइन के बारे में सोच रहा था, उसे एक विचार आया। उस रात पूर्णिमा जो कि बर्फ से ढकी गाय माउंटेन पर चमक रही थी ने उसे वेनिला आइसक्रीम के स्कूप की याद दिला दी। उन्होंने अपने बार में जल्दबाजी की और बच्चों को सोडा, मायर्स एवेन्यू रेड रूट बीयर के पसंदीदा स्वाद के लिए एक चम्मच मलाइदार वेनिला अच्छाई मिलाया। जब उन्होंने इसे चखा तो उन्हें पता था कि वह हिट है। उन्होंने इस नए अविष्कार का नाम ब्लैक काऊ माउंटेन रखा। उन्हीं की याद में हर साल 10 जून को नेशनल ब्लैक काऊ डे मनाया जाता है।
भारत में ब्लैक काऊ का महत्व
भारत में ब्लैक काऊ का महत्व
भारत में ब्लैक काऊ अर्थात श्यामा गाय का अलग की महत्व है। हिन्दू धर्म में गाय को माता की उपाधि दी गई है और इसे सीधे ईश्वर से जोड़ा गया है। गाय का दूध से लेकर गोबर तक सब पवित्र माना गया है। गाय हमारी आस्था का केन्द्र बिन्दु भी है, लेकिन गायों में भी काली गाय का अपना अलग धार्मिक महत्व है। कहते हैं ब्लैक काऊ अर्थात श्यामा गाय, गौवंश की सभी नस्लों में सर्वश्रेष्ठ है। इस गाय का दूध औषधि के समान माना गया है। आचार्य पं सुरेन्द्राचार्य का कहना है कि श्यामा गाय श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय गाय थी। धर्म ग्रंथों में इसे कामधेनु भी कहा जाता है। शास्त्रों ने अनुसार श्यामा गाय के नित दर्शन मात्र से भी पाप कट जाते हैं। जिस घर में श्यामा गाय रहती है उस घर में सुख और समृद्धि आती है। इसलिए श्यामा गाय गौ पालकों की आज भी पहली पसंद है। यह शहर से लेकर गांव तक अमूमन हर घर में देखने को मिल जाती है।