अपनों के साथ हादसा होने या बीमार होने पर हम उससे मिलने जरूर जाते हैं। इस मौके पर हम मरीज को सहायता के रूप में एक किलो फल या 500 रुपए का लिफाफा पकड़ा कर अपना रिश्ता निभाने की कोशिश करते हैं पर यह सहायता मरीज के लिए पर्याप्त नहीं होती। इसलिए हम आज यह संकल्प लंे कि जब कभी किसी मरीज को देखने अस्पताल जाएंगे और मरीज को रक्त की जरूरत है, तो उसे खून जरूर देंगे। यदि हम सब इस भावना से कार्य करेंगे तो किसी को खून के लिए ब्लड बैंक या ब्लड डोनेटर को खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। समय पर सही रक्त मिलने से मरीज का जीवन बचेगा और वह आपका यह छोटा सा उपकार जीवन भर याद रखेगा।
कौन दे सकता है खून
कौन दे सकता है खून
चिकित्सकों के अनुसार हर वह व्यक्ति (स्त्री हो या पुरुष) जिसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है, उसका वजन 50 किलो या इससे अधिक है वह बिना किसी झिझक रक्तदान कर सकता है। हर स्वस्थ्य व्यक्ति को एक साल में कम से कम एक बार रक्तदान करना चाहिए। यदि इतनी सामर्थता नहीं है तो जीवन में एक बार रक्तदान जरूर करना चाहिए।
रक्तदान के लाभ
– ब्लड डोनेशन से हार्टअटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है। जो हृदय के लिए अच्छा होता है। – एक रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।
– ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरस्ती भी मिलती है।
– ब्लड डोनेशन से हार्टअटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है। जो हृदय के लिए अच्छा होता है। – एक रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।
– ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरस्ती भी मिलती है।
– ब्लड डोनेशन सुरक्षित व स्वस्थ परंपरा है। इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फि र से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है।