60 की पटिया 120 में
अवैध खनन के इस कारोबार में बड़ा खेल हो रहा है। सखौंहा में संचालित खदानों में अवैध खनन और पटिया तैयार करने में जुटे लोगों और कारीगरों को प्रति पटिया के हिसाब से अवैध खदान संचालक 30 रुपए देता है। इसके बाद इस अवैध खनन स्थल में तैयार पटिया को 60 रुपए की दर से वैध खदान स्थल पर पहुंचा दी जाती है। यहां से पटिया ट्रकों में लोड होकर बिहार और उप्र भेजा जाता है।
अवैध खनन के इस कारोबार में बड़ा खेल हो रहा है। सखौंहा में संचालित खदानों में अवैध खनन और पटिया तैयार करने में जुटे लोगों और कारीगरों को प्रति पटिया के हिसाब से अवैध खदान संचालक 30 रुपए देता है। इसके बाद इस अवैध खनन स्थल में तैयार पटिया को 60 रुपए की दर से वैध खदान स्थल पर पहुंचा दी जाती है। यहां से पटिया ट्रकों में लोड होकर बिहार और उप्र भेजा जाता है।
खनिज अमला साधे है चुप्पी
बताया गया है कि जिन वैध खदान की अनुमति मिली है, अगर उसी की जांच हो जाए तो बड़े खेल का खुलासा हो जाएगा। यहां आवंटित स्थल पर पटिया वाला पत्थर नहीं मिलने से खदान संचालक द्वारा अवैध खदान संचालकों से पटिया ली जाती है। इसके बाद इस पटिया को दोगुनी कीमत पर बाजार में अपने पिटपास से बेचा जाता है। इसकी निरीक्षण कभी भी खनन स्थल और पिटपास के आधार पर देखा जा सकता है।
बताया गया है कि जिन वैध खदान की अनुमति मिली है, अगर उसी की जांच हो जाए तो बड़े खेल का खुलासा हो जाएगा। यहां आवंटित स्थल पर पटिया वाला पत्थर नहीं मिलने से खदान संचालक द्वारा अवैध खदान संचालकों से पटिया ली जाती है। इसके बाद इस पटिया को दोगुनी कीमत पर बाजार में अपने पिटपास से बेचा जाता है। इसकी निरीक्षण कभी भी खनन स्थल और पिटपास के आधार पर देखा जा सकता है।
वनकर्मियों की मिलीभगत
पूरे खेल में वन अमला भी बराबर का साझीदार है। बताया गया है कि कई खदाने तो वन क्षेत्र में हैं लेकिन राजस्व भूमि में संचालित होने वाली अवैध खदानों से ट्रैक्टर ट्राली में पटिया निकाल कर वन क्षेत्र से होकर वैध खदान तक पहुंचते हैं। लेकिन वन अमला इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। इसके एवज में खदान संचालकों द्वारा इन्हें मोटी रकम दी जाती है।
पूरे खेल में वन अमला भी बराबर का साझीदार है। बताया गया है कि कई खदाने तो वन क्षेत्र में हैं लेकिन राजस्व भूमि में संचालित होने वाली अवैध खदानों से ट्रैक्टर ट्राली में पटिया निकाल कर वन क्षेत्र से होकर वैध खदान तक पहुंचते हैं। लेकिन वन अमला इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। इसके एवज में खदान संचालकों द्वारा इन्हें मोटी रकम दी जाती है।
मामले में मैदानी राजस्व अमले को भेज कर जांच कार्रवाई जाएगी। अगर राजस्व भूमि में अवैध खनन मिलता है तो कार्रवाई करवाई जाएगी।
एपी द्विवेदी, एसडीएम
एपी द्विवेदी, एसडीएम