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किसान ने जमीन बेचकर चुकाया खाद बीज का ऋण, देखिए सुशासन की असली कहानी

locationसतनाPublished: Jul 18, 2017 11:35:00 am

Submitted by:

suresh mishra

समिति प्रबंधक ने किसान की बीमा राशि के लाखों हड़पे, फिर ऋण चुकाने डुगडुगी पिटवा कर जमीन भी बिकवाई, हंगामा मचने पर समिति प्रबंधक को हटाया।

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In the kingdom of Shiva, the farmer sold land to repay the debt of the seed


सतना। एक ओर सरकार किसानों के फसल बीमा की राशि उनके खाते में जमा करने का जोर शोर से प्रचार कर रही है वहीं दूसरी ओर जिले के किसानों की फसल बीमा की राशि समितियां हड़प रही है। हद तो यह है कि उन्ही किसानों के बकाया ऋण वसूलने के लिये डुगडुगी तक पिटवा कर सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया जा रहा है।

ऐसा ही मामला कोटर सहकारी समिति में सामने आया है। खरीफ 2015 की फसल बीमा की जो राशि आई थी समिति वालों ने उसे किसानों को न देकर खुद हजम करके बैठ गये। गत दिवस जब किसानों के हाथ फसल बीमा की सूची लगी तो हंगामा मच गया। कोटर समिति में स्थिति विपरीत बनने पर मामला जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के महाप्रबंधक तक पहुंचा।

फसल बीमा की सूची लगी तो हंगामा
तो वे मौके पर पहुंचे। प्राथमिक जांच में उन्होने समिति प्रबंधक धनंजय मिश्रा को दोषी पाया तो उसे तत्काल हटाते हुए चार्ज उदय सिंह पर्यवेक्षक को दिया है। साथ ही दो दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है। महाप्रबंधक ने बताया कि यदि प्रतिवेदन में समिति प्रबंधक दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।

समिति प्रबंधक दोषी तो एफआईआर
मिली जानकारी के अनुसार सेवा सहकारी समिति कोटर के सदस्य किसानों का खरीफ 2015 की फसल बीमा की राशि जारी होने के बाद किसानों के खाते में देने का जिम्मा समिति प्रबंधक को दिया गया। लेकिन यह सूची सार्वजनिक तो की ही नहीं गई उल्टा यह राशि भी किसानों के खाते में नहीं डाली गई।

कागजों में वितरण
हद यह भी हो गई कि ज्यादातर किसानों की यह बीमा राशि को उनके ऋण की रकम से कागजों में वितरण करना भी बता दिया गया। चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि जितनी राशि बीमा की आई थी उसमें से नाम मात्र की राशि किसानों को दी गई और प्रमाण-पत्र में हस्ताक्षर करवा लिये। उधर किसानों से ऋण वसूलने नोटिस जारी कर डुगडुगी तक पिटवाई गई। मजबूरी में किसानों ने अपनी गाढ़ी कमाई की रकम इस ऋण को पटवाने में जमा करवा दी।

यूं मचा हंगामा
दो दिन पहले कोटर के कुछ किसानों को फसल बीमा राशि की सूची हाथ लग गई। जब सूची देखी तो उनके होश उड़ गये। ज्यादातर किसानों को जो बीमा की राशि दी गई थी वह इससे काफी कम थी साथ ही जो ऋण वसूली की राशि थी वह भी इससे कम थी। यह बीमा राशि तो दी नहीं उल्टा किसानों से जबरिया ब्याज सहित ऋण भी वसूला गया। सोमवार को यही किसान सूची के साथ जब समिति में पहुंचे तो कोई सार्थक जवाब समिति प्रबंधक धनंजय मिश्रा नहीं दे सके। लिहाजा यहां किसानों ने हंगामा खड़ा कर दिया और स्थिति झूमा झटकी तक पहुंच गई। इस बीच किसी ने यह जानकारी जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक केएल रैकवार को दी।

मिला गड़बड़झाला
स्थिति की जानकारी मिलने पर महाप्रबंधक रैकवार कोटर समिति पहुंचे। यहां उन्होंने पाया कि प्रमाण पत्र बंटना दिखाया गया है और कैश बुक में इंट्री है लेकिन लेजर पोस्टिंग सही नहीं थी। किसानों के खाते में राशि नहीं दी गई। यह बीमा राशि किसानों को बताये बिना ब्याज के साथ ऋण भी वसूली की गई। हालांकि समिति प्रबंधक ने मामला बिगड़ता देख दो दिन के अंदर बीमा की शेष राशि को किसानों के खाते में क्रेडिट करना दिखा दिया। लेकिन इंट्री में वह पकड़ा गया।

जमीन बेच कर चुकाया ऋण
कोटर निवासी 80 वर्षीय किसान चंद्रमौलि मिश्रा ने बताया कि उन्होंने खाद बीज के लिये 44600 ऋण लिया था। ब्याज सहित उनसे 87 हजार ऋण वसूली के लिये कुर्की का नोटिस दिया गया और गांव में डुगडुगी पिटाई गई कि ऋण जमा नहीं किया गया तो चल अचल संपत्ति जब्त कर कुर्की की जाएगी। लिहाजा बदनामी के डर से एक एकड़ 56 डिसमिल जमीन बेच कर यह ऋण अदा किया।

नाम मात्र का पैसा दिया
कोटर के भाजयुमो उपाध्यक्ष पंकज गौतम ने बताया कि जब उन्होंने बीमा राशि की सूची में दी गई रकम से किसानों से पता किया तो उसकी नाम मात्र की राशि देकर पूरे में हस्ताक्षर करवा लिये और प्रमाण-पत्र दे दिया। जब सभी किसान आज सहकारी बैंक पहुंचे तो पूरा खेल पता चला। समिति प्रबंधक ने पूरी राशि हड़प ली थी। इधर जब समिति प्रबंधक को पता चला तो आनन फानन में उसने बीमा की राशि अब किसानों के खाते में क्रेडिट दिखाई है।

होगी एफआईआर
जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक केएल रैकवार ने बताया मामला प्रथम दृष्टया अनियमितता का नजर आ रहा है। किसानों को बीमा की राशि नहीं दी गई है और अभिलेखों में भी गलत इंट्री है। समिति प्रबंधक धनंजय को हटा कर चार्ज पर्यवेक्षक उदय सिंह को दिया गया है और उन्हें दो दिन में जांच प्रतिवेदन देने कहा गया है। यदि इसमें समिति प्रबंधक दोषी पाया जाता है तो एफआईआर करवाई जाएगी।
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