विभागीय सूत्रों का कहना है, सीमेंट कारोबार से जुड़े पवन अहलूवालिया के ड्राइवर सुंदर कोल के नाम पर 15 एकड़ जमीन पाई गई है। विभाग को छानबीन में जानकारी मिली थी कि सुंदर के नाम पर वर्ष 2008 और 2010 में मैहर तहसील के ग्राम गिरगिटा और लखवारा में जमीन खरीदी गई थी। सुंदर स्वयं आदिवासी है और यह जमीन भी आदिवासी से खरीदी गई। चालक द्वारा इतने बड़े पैमाने पर जमीन खरीदना ही सवाल खड़ा कर दिया और आयकर विभाग की बेनामी विंग ने जांच शुरू कर दी। इसके बाद प्रकरण दर्ज किया गया। अब संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
आयकर विभाग को दस्तावेजों की छानबीन में यह जिक्र नहीं मिला कि भुगतान कितना किया गया है। हालांकि विभाग को यह सूचना मिली थी कि जमीन का 7 करोड़ रुपए नकद भुगतान किया गया। लेकिन दस्तावेजों पर ‘जीरो बॉण्ड कूपनÓ का लेनदेन ही दर्ज बताया गया। जांच के दौरान यह खुलासा भी हुआ कि मामले में सभी शर्तों का पालन नहीं किया गया। ऐसे सौदे में यह अनिवार्यता है कि जिसने जमीन बेची है वह उतनी ही रकम की दूसरी जमीन छह महीने के भीतर खरीदेगा। इसके बाद ही दोनों रजिस्ट्रियां साथ में की जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जांच में यह भी पाया गया कि अहलूवालिया द्वारा बनाई गई एक कंपनी में सुंदर कोल का नाम बतौर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के रूप में भी दर्ज था। उल्लेखनीय है कि अहलूवालिया का नाम पनामा पेपर्स और कोल घोटाले के दौरान भी सुर्खियों में रह चुका है। मामले में जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इस मुद्दे पर आयकर विभाग ने महानिरीक्षक पंजीयन और कलेक्टर को पत्र भी भेजा है। साथ ही मामले से जुड़े संदिग्ध लोगों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजने की तैयारी की गई है।