ये है मामला
पत्रिका को परिजनों ने बताया कि सुरेन्द्र कुमार मिश्रा पिता रमेश मिश्रा 25 वर्ष निवासी मिसिरगवां 7 वर्ष पहले सेना में भर्ती हुआ था। जो अपने घर में सबसे बड़ा बेटा था। उससे एक छोटा भाई और बहन है। 28 दिसबंर 2018 को 28 दिन की छुट्टी बिताकर अपनी यूनिट गया था। इसके पहले वह चाइना बॉर्डर सियाचीन पर 28 माह की ड्यूटी कर चुका था। फिलहाल मृत्यु का कारण परिवार वालों ने स्पष्ट नहीं किया है। रात 2:00 बजे सेना के अधिकारियों का पिता के पास फोन आया था। जिन्होंने सुरेन्द्र कुमार मिश्रा के निधन की सूचना दी थी।
पत्रिका को परिजनों ने बताया कि सुरेन्द्र कुमार मिश्रा पिता रमेश मिश्रा 25 वर्ष निवासी मिसिरगवां 7 वर्ष पहले सेना में भर्ती हुआ था। जो अपने घर में सबसे बड़ा बेटा था। उससे एक छोटा भाई और बहन है। 28 दिसबंर 2018 को 28 दिन की छुट्टी बिताकर अपनी यूनिट गया था। इसके पहले वह चाइना बॉर्डर सियाचीन पर 28 माह की ड्यूटी कर चुका था। फिलहाल मृत्यु का कारण परिवार वालों ने स्पष्ट नहीं किया है। रात 2:00 बजे सेना के अधिकारियों का पिता के पास फोन आया था। जिन्होंने सुरेन्द्र कुमार मिश्रा के निधन की सूचना दी थी।
अलवर पर थी पोस्टिंग
गांव वालों ने पत्रिका को बताया कि पुलवामा हमले का दर्द अभी खत्म नहीं हुआ कि एक और दुख: भरी खबर ने क्षेत्र हो हिला कर रख दिया है। पत्रिका के सवांददाता की मानें तो सुरेन्द्र कुमार मिश्रा राष्ट्रीय राजपूताना 14वीं बटालियन पर पदस्थ था। जिसकी यूनिट राजस्थान के अलवर पर तैनाथ थी। कुछ दिनों से उसके सिर पर दर्द रहता था। लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ्य और हट्टा-कट्टा था।
गांव वालों ने पत्रिका को बताया कि पुलवामा हमले का दर्द अभी खत्म नहीं हुआ कि एक और दुख: भरी खबर ने क्षेत्र हो हिला कर रख दिया है। पत्रिका के सवांददाता की मानें तो सुरेन्द्र कुमार मिश्रा राष्ट्रीय राजपूताना 14वीं बटालियन पर पदस्थ था। जिसकी यूनिट राजस्थान के अलवर पर तैनाथ थी। कुछ दिनों से उसके सिर पर दर्द रहता था। लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ्य और हट्टा-कट्टा था।