लेटेस्ट से लेटेस्ट डांस स्टाइल का प्रशिक्षण शहर में एक समय था जब बालीवुड डांस सीखने वालों की डिमांड होती थी। पर डांस में जागरूकता के चलते शहर में लेटेस्ट से लेटेस्ट डांस स्टाइल का प्रशिक्षण दिया जाता है। सालसा, जैज, बी बाइंग, कंटम्परेरी, जुम्बा, लिरिकल हिप हॉप, थियेटर एक्ट जैसे इंटरनेशनल डांस फार्म को भी इस समय सतना शहर में सिखाया जाता है।
1882 से शुरुआत
इंटरनेशनल डांस डे की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से शुरू हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थियटेर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने इस दिन को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफार्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म स्मृति में यह दिन इंटरनेशनल डांस डे के रूप में मनाया जाता है।
इंटरनेशनल डांस डे की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से शुरू हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थियटेर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने इस दिन को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफार्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म स्मृति में यह दिन इंटरनेशनल डांस डे के रूप में मनाया जाता है।
आशीष तिवारी यानी शहर के लोकप्रिय कोरियोग्राफर रॉकी। वे सीधी, सिंगरौली, रीवा, जबलपुर, नागपुर, रायपुर , आगरा , रायपुर, दिल्ली, मुम्बई में आयोजित होने वाले बड़े इवेंट, जागरण, वेडिंग में बतौर कोरियोग्राफी का काम करते हैं। ये शहर के एेसे कोरियोग्राफर हैं जिन्हें हमेशा शार्ट मूवी के गानों पर कोरियोग्राफी करने का मौका मिलता है। उन्होंने दो भोजपुरी फिल्म दिलवाले और बर्फी मूवी में आने वाले गानों की कोरियोग्राफी की। आशीष इस क्षेत्र में नाम कमाने के साथ रुपए भी कमा रहे हैं। उन्हें बालीवुड, लॉकिंग पॉपिंग, कंटेम्परेरी, सालसा विधा में महारत हासिल है। आशीष रॉक फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले शहर के बच्चों को डांस की शिक्षा दे रहे हैं।
गौरव पाण्डेय पिछले आठ साल से शहर में बतौर कोरियोग्राफर काम कर रहे हैं। उन्होंने डांस के क्षेत्र में थियटेर एक्ट को इंपॉर्टेंस दिया। जब भी वह किसी इवेंट, वेडिंग, स्कूल-कॉलेज के फंक्शन में कोरियोग्राफी करते हैं तो इसमें थियेटर एक्ट को इंपॉर्टेंस देते हैं। थियटेर एक्ट में वह सामाजिक मुद्दों पर डांस तैयार करवाते हैं। भरहुत नगर में रहने वाले 28 वर्षीय गौरव स्पेशली मुंबई और पुणे की डांस कंपनी के साथ शहर ही नहीं शहर के बाहर कोरियोग्राफी का काम करते हैं। उन्हें थियटर एक्ट के अलावा, हिप हॉप, सेमी क्लासिकल, बॉलीवुड और कंटेम्परेरी में महारत हासिल है। आरके डांस स्टूडियो के माध्यम से वह हर साल शहर के हजारों बच्चों को डांस का प्रशिक्षण देते हैं।
यहां हम बात कर रहे हिप हॉप के बदशाह प्रियांशु श्रीवास्तव की। प्रियांशु भी मशहूर कोरियोग्राफर हैं। जब भी आप शहर में कोई बड़ा इवेंट देखेंगे तो वहां पर प्रियांशु का कोरियोग्राफी किया हुआ नृत्य जरूरी देख पाएंगे। हिमांशु ने स्पेशली हिपहॉप की ट्रेनिंग अहमदाबाद और मुम्बई से ली है। अब वह शहर के बच्चों को इस विधा की बारीकियों से अवगत करा रहे हैं। हिमांशु बचपन से डांस के शौकीन रहे। पर वह कोरियोग्राफर के क्षेत्र में पांच साल से काम कर रहे हैं।
वैष्णवी डांस एकेडमी के संचालक उमेश वर्मा की कोरियोग्राफी भी लोगों के बीच चर्चा का कारण बनती है। वह हर बार कुछ नए डांस के साथ लोगों का दिल जीतने की कोशिश करते हैं। आठ साल से वह शहर में कोरियोग्राफर का काम कर रहे हैं। पहले उन्होंने डांस का प्रशिक्षण देना शुरू किया। फिर स्कूल-कॉलेज के इवेंट को थीम के अनुसार तैयार करना। आज वह शहर के बड़े इवेंट, हाइप्रोफाइल फैमिली की वेडिंग फंक्शन को कोरियोग्राफ करते हैं। इस बीच वह अपनी टीम के साथ इंटरनेशनल डांस प्रतियोगिताआें में भी भाग लेते हैं। 2017 में उन्होंने पुणे में आयोजित इंटरनेशनल डांस परफॉर्मेंस में दूसरा स्थान हासिल किया था। उमेश की कोरियोग्राफी की वजह से यहां तक पहुंचना आसान हुआ।
नृत्य वेद की उत्पत्ति
कहा जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया। तभी से नृत्य की उत्पत्ति सारे संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में समवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरत मुनि के सौ पुत्रों ने किया।
कहा जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया। तभी से नृत्य की उत्पत्ति सारे संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में समवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरत मुनि के सौ पुत्रों ने किया।