जिले को सिंथेटिक स्टेडियम की जरूरत एथलीट कोच बाबूलाल सिंह ने बताया, शहर में एक सिंथेटिक स्टेडियम की जरूरत है। यहां के धावक स्कूल, कॉलेज और जिलास्तरीय, राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए जगह तो बना लेते हैं पर दूसरे शहर के धावकों को पीछे नहीं कर पाते और निराश होकर मन मार लेते हैं। एक धावक को सिंथेटिक स्टेडियम की जरूरत होती है। वहां 10 किलोमीटर से लेकर चार सौ किलोमीटर तक दौडऩे के लिए ट्रैक बने हो। साथ ही स्क्वेयर हो, जिम की भी व्यवस्था हो। एेसे ग्राउंड में ही प्रैक्टिस करने वाले धावक राष्ट्रीयस्तर तक जगह बना सकते हैं।
इस उम्र में भी जज्बा बरकरार
एक तरह शहर में एथलीट के लिए सुविधाओं का अभाव है तो दूसरी तरफ कुछ कर गुजरने की चाहत भी है। हम बात कर रहे शहर के लोकप्रिय धावक संजय बनार्जी की। उनकी उम्र 50 के पार है। फिर भी वे अपने स्तर पर प्रयास कर हर साल भारत और भारत के बाहर आयोजित होने वाली दौड़ में बराबर भाग ले रहे हैं और आने वाली नई जनरेशन को दौड़ के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
एक तरह शहर में एथलीट के लिए सुविधाओं का अभाव है तो दूसरी तरफ कुछ कर गुजरने की चाहत भी है। हम बात कर रहे शहर के लोकप्रिय धावक संजय बनार्जी की। उनकी उम्र 50 के पार है। फिर भी वे अपने स्तर पर प्रयास कर हर साल भारत और भारत के बाहर आयोजित होने वाली दौड़ में बराबर भाग ले रहे हैं और आने वाली नई जनरेशन को दौड़ के लिए प्रेरित कर रहे हैं।