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सतना

तालाब ने की नगर निगम से पुकार मेरी दुर्दशा दूर करो

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6 years ago
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सतना. मै कोई गंदा नाला नही, शहर के ह्दय स्थल ङ्क्षस्थत जगतदेव तालाब हूं। मेरे घाट पर स्वंय देवों के देव महादेव का वास है। इसके बाजवूद भक्तों ने मेरी ऐसी दुर्गति की है कि मेरा जल आचमन लायक नही बचा। नगर निगम प्रशासन मेरे सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपय खर्च कर चुका है। मेरे कायाकल्प की कई योजनाएं बनी, लेकिन वह फाइलों से बाहर नही निकल पाई। मेरी कोख में हर दिन सैंकड़ों किलो फूल-माला, पूजन सामग्री एवं पालीथिन डाली जा रही है। शहर का गंदा पानी मुझमें समाहित किया जा रहा है।

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सतना. मै कोई गंदा नाला नही, शहर के ह्दय स्थल ङ्क्षस्थत जगतदेव तालाब हूं। मेरे घाट पर स्वंय देवों के देव महादेव का वास है। इसके बाजवूद भक्तों ने मेरी ऐसी दुर्गति की है कि मेरा जल आचमन लायक नही बचा। नगर निगम प्रशासन मेरे सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपय खर्च कर चुका है। मेरे कायाकल्प की कई योजनाएं बनी, लेकिन वह फाइलों से बाहर नही निकल पाई। मेरी कोख में हर दिन सैंकड़ों किलो फूल-माला, पूजन सामग्री एवं पालीथिन डाली जा रही है। शहर का गंदा पानी मुझमें समाहित किया जा रहा है।

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सतना. मै कोई गंदा नाला नही, शहर के ह्दय स्थल ङ्क्षस्थत जगतदेव तालाब हूं। मेरे घाट पर स्वंय देवों के देव महादेव का वास है। इसके बाजवूद भक्तों ने मेरी ऐसी दुर्गति की है कि मेरा जल आचमन लायक नही बचा। नगर निगम प्रशासन मेरे सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपय खर्च कर चुका है। मेरे कायाकल्प की कई योजनाएं बनी, लेकिन वह फाइलों से बाहर नही निकल पाई। मेरी कोख में हर दिन सैंकड़ों किलो फूल-माला, पूजन सामग्री एवं पालीथिन डाली जा रही है। शहर का गंदा पानी मुझमें समाहित किया जा रहा है।

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सतना. मै कोई गंदा नाला नही, शहर के ह्दय स्थल ङ्क्षस्थत जगतदेव तालाब हूं। मेरे घाट पर स्वंय देवों के देव महादेव का वास है। इसके बाजवूद भक्तों ने मेरी ऐसी दुर्गति की है कि मेरा जल आचमन लायक नही बचा। नगर निगम प्रशासन मेरे सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपय खर्च कर चुका है। मेरे कायाकल्प की कई योजनाएं बनी, लेकिन वह फाइलों से बाहर नही निकल पाई। मेरी कोख में हर दिन सैंकड़ों किलो फूल-माला, पूजन सामग्री एवं पालीथिन डाली जा रही है। शहर का गंदा पानी मुझमें समाहित किया जा रहा है।

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सतना. मै कोई गंदा नाला नही, शहर के ह्दय स्थल ङ्क्षस्थत जगतदेव तालाब हूं। मेरे घाट पर स्वंय देवों के देव महादेव का वास है। इसके बाजवूद भक्तों ने मेरी ऐसी दुर्गति की है कि मेरा जल आचमन लायक नही बचा। नगर निगम प्रशासन मेरे सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपय खर्च कर चुका है। मेरे कायाकल्प की कई योजनाएं बनी, लेकिन वह फाइलों से बाहर नही निकल पाई। मेरी कोख में हर दिन सैंकड़ों किलो फूल-माला, पूजन सामग्री एवं पालीथिन डाली जा रही है। शहर का गंदा पानी मुझमें समाहित किया जा रहा है।

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