मिली जानकारी के अनुसार अप्रेल माह के दूसरे सप्ताह में जय किसान फसल ऋण माफी को लेकर संबंधित विभागों की बैंकों के साथ बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें यह जानकारी सामने आई है कि कर्ज माफी के लिए राज्य शासन द्वारा बैंकों के माध्यम से किसानों को भुगतान की गई राशि तथा बैंकों को प्राप्त हुई राशि में काफी अंतर है। इस पर जिला स्तर पर मिलान के निर्देश कलेक्टर को दिए गए हैं। कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान जय किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत राज्य शासन द्वारा स्वीकृत प्रकरणों में निर्गमित राशि का मिलान उप संचालक किसान कल्याण और संबंधित बैंक के जिला समन्वयक द्वारा किया जाए। यदि भुगतान राशि में अंतर पाया जाता है तो अंतर किस कारण से हुआ है उसकी जानकारी पता की जाए और यह पता किया जाए कि यह राशि कहां गई? यह भी देखा जाए कि कही यह ट्रांजेक्शन फेल तो नहीं हुआ है या कोई अन्य कारण तो नहीं है। इन कारणों का उल्लेख करते हुए मिलान पत्रक तैयार किया जाए और आवश्यक कार्रवाई की जाए। अगर अंतर नहीं मिलता है तो उसका भी उल्लेख कर जानकारी शासन को भेजी जाए।
यह गड़बड़ी भी मिली
समीक्षा बैठक में यह तथ्य भी सामने आया है कि बैंक द्वारा एनपीए खातों के लिए स्वीकृत एक मुश्त समझौता योजना के तहत कुछ बैंक शाखाओं ने योजना से अधिक या कम राशि का दावा कर दिया है। बताया गया है कि बैंकों के एनपीए खातों के लिए योजना के तहत जो एक मुश्त समझौता लागू किया गया था उसमें सब स्टैंडर्ड खातों में बैंक द्वारा 25 प्रतिशत तथा संदिग्ध और हानिगत खातों में बैंक द्वारा 50 फीसदी राशि माफ की गई है और शेष राशि शासन द्वारा 75 फीसदी और 50 फीसदी का भुगतान किया जाएगा। लेकिन बैंकों ने इस समझौता योजना के विरुद्ध अपने छूट के हिस्से की अनदेखी करते हुए ज्यादा राशि का दावा कर दिया है। शासन ने इसका भी परीक्षण कर ज्यादा ली गई राशि को बैंकों को शासन के खाते में वापस जमा करने कहा गया है।