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बघेलखंड में धूमधाम से मना कजलियों का त्यौहार, गले मिलकर एक दूसरे के गिले शिकवे हुए दूर

locationसतनाPublished: Aug 16, 2019 06:34:44 pm

Submitted by:

suresh mishra

रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाए जाने वाले पर्व को कजलियां कहते है।

kajaliya parv 2019: Baghelkhand me kyu manaya jata hai kajaliya parv

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सतना। मध्यप्रदेश के बघेलखंड और बुंदेलखंड में कजलियों का त्यौहार धूमधाम से मना गया। रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाए जाने वाले पर्व को कजलियां कहते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गले मिलकर एक दूसरे के गिले शिकवे दूर होते है। बड़े-बुजूर्ग छोटों को आशीर्वाद देते है। वहीं अपने से बराबरी के लोगों को बधाइयां दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को एक विशेष महत्व है। यह पर्व बघेलखंड के सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर सहित बुंदेलखंड और महाकौशल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ शुक्रवार को मना।
पं मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार रक्षाबंधन के 8 दिन पहले श्रावण माह की नवमीं को घरों में पत्तों से बने दोनों में कजलियां बोई जाती है। रोजाना कजलियों को दूध, गंगा जल से सींचकर धन-धान्य की कामना की जाती है। फिर भाद्र पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी की शुक्रवार को उनका विसर्जन कर कजलियां पर्व मनाया जा रहा है। कजलियां मूलत: बघेलखंड और बुंदेलखंड की परंपरा रही है जो कि पर्व के रूप में हमारे समाज में सम्मलित हो गई। हरी-पीली व कोमल गेहूं की बालियों को आदर और सम्मान के साथ भेंट करने एवं कानों में लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है
महिलाओं और बच्चों में रहता है अच्छा उत्साह
बताया गया कि कजलियों को लेकर महिलाओं और बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिलता है। बच्चों को कजलियां देने के बाद शगुन के रूप में बड़े उन्हें रुपए-पैसे दे कर खुशी जाहिर करते हैं। इसके अलावा जिनके परिवारों में पूरे साल के भीतर किसी की मृत्यु हुई है, सुख दुख बांटने, मेल-मिलाप के लिए नाते-रिश्तेदार उनके घर पहुुंचते हैं।
संतोषी माता तालाब में लगा मेला
शुक्रवार को बिरला रोड स्थित संतोषी माता तालाब में शाम तीन बजे से कजलियां विसर्जन का मेला लगा हुआ है। तालाब के चारों ओर खरीददारी के लिए दुकानें सजी थी वहीं युवा व महिलाएं अच्छे-अच्छे पकवानों का लुफ्त उठा रहे हैं। सभी ने इस दौरान एक दूसरे के कानों में कजलियां लगाकर सुख समृद्घि की कामना कर पुराने द्वेष व बैर को भूलने का संकल्प कर रहे हैं। मेल मिलाप के इस पर्व पर लोगों ने एक दूसरे को कजलियों का आदान प्रदान कर रहे हैं। जो बराबरी के हैं, वे गले लग रहे और जो बड़े हैं वे छोटों को आशीर्वाद दे रहे हैं।
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