जिले में चका जाम आंदोलन शांति पूर्वक रहा। जिला मुख्यालय में चका जाम की अनुमति न मिलने के कारण जहां किसान संगठनों ने कृषि कानून के विरोध में टाउन हाल परिसर में सत्याग्रह आंदोलन किया तो वहीं आंदोलन का सर्वाधिक असर रामपुर बाघेलान में देखा गया। यहां गांव से ट्रैक्टर लेकर पहुंचे किसानों ने हाइवे में ट्रेक्टर रैली निकली। इसके बाद सड़क में धरना देते हुए चका जाम कर दिया। जिससे रामपुर में आधा घंटा तक सतना रीवा मार्ग बंद रहा।
किसानों द्वारा किए गए चका जाम आंदोलन में रीवा संभाग के संभागायुक्त भी फंस गए। जिन्हें पुलिस ने भारी मशक्कत के बाद जाम से बाहर निकाला। किसानों द्वारा आयोजित चका जाम आंदोलन का समर्थन करते हुए कांग्रेस पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल रहे।
किसान बोले नहीं चाहिए नए कृषि कानून, वापस ले सरकार
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा टाउन परिसर में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश सिंह की अगुवाई में धरना एवं सत्याग्रह किया गया। जिसमें किसान समाजिक संगठन एवं कांग्रेस पदाधिकारी शामिल हुए। सत्याग्रह आंदोलन में किसानों ने केन्द्र सरकार को तानाशाही सरकार बताते हुए कहा की दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को विपक्ष का आंदोलन बताकर सरकार देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। इसका खामियाजा सरकार को भगुतना होगा। किसानों ने कहा की हमे केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानून मंजूर नहीं हैं। इसलिए सरकार बिना देरी किए इन्हें वापस ले। सरकार कोई भी कानून किसानों पर जबरदस्ती नहीं थोप सकती। धरना सत्याग्रह को समर्थन देने के लिए विभिन्न दल सामाजिक संगठन एवं ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी धरना स्थल पर उपस्थित रहे।
किसान बोले नहीं चाहिए नए कृषि कानून, वापस ले सरकार
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा टाउन परिसर में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश सिंह की अगुवाई में धरना एवं सत्याग्रह किया गया। जिसमें किसान समाजिक संगठन एवं कांग्रेस पदाधिकारी शामिल हुए। सत्याग्रह आंदोलन में किसानों ने केन्द्र सरकार को तानाशाही सरकार बताते हुए कहा की दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को विपक्ष का आंदोलन बताकर सरकार देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। इसका खामियाजा सरकार को भगुतना होगा। किसानों ने कहा की हमे केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानून मंजूर नहीं हैं। इसलिए सरकार बिना देरी किए इन्हें वापस ले। सरकार कोई भी कानून किसानों पर जबरदस्ती नहीं थोप सकती। धरना सत्याग्रह को समर्थन देने के लिए विभिन्न दल सामाजिक संगठन एवं ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी धरना स्थल पर उपस्थित रहे।