कृष्णा काम के सिलसिले में अपना घर-बार छोड़ कर जम्मू चले गए थे। लेकिन कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में उन्हें घर लौटना पड़ा। उनके साथ कई और लोग लौटे। सभी को गांव के एक स्कूल में 14 दिन के लिए क्वारंटीन कर दिया गया। अब क्वारंटीन होने के बाद कृष्णा के अंदर कुछ करने की कुलबुलाहट शुरू हुई। वो ऐसे ही बिना काम के दिन नहीं बिताना चाहता था। वह खाली बैठ कर समय गुजारना नहीं चाहता था। वह संकट के वक्त को भी क्रिएटिव बनाना चाहता था। सो वह काम खोजने लगा। इसी सिलसिले में वह साथियों के साथ सरपंच सरपंच उमेश चतुर्वेदी से भी मिला।
इसी बीच कृष्णा अच्छे पेंटर हैं तो उन्हें उसी स्कूल जहां उन्हें क्वारंटीन किया गया था की पेंटिंग का काम सौंपा गया। लेकिन शर्त यह थी कि पेंटिंग के बाद स्कूल बिल्कुल बंदे भारत ट्रेन की तरह नजर आए। कृष्णा ने इस चुनौती को स्वीकार किया और जुट गए काम में। सरपंच उमेश चतुर्वेदी ने उन्हें और उनके साथियों को पेंट, ब्रश और अन्य जरूरत के सामान का इंतजाम कर दिया। अब कृष्णा के काम में उनके साथी भी अपना योगदान देने लगे। देखते ही देखते कृष्णा और उनके साथियों ने स्कूल का नक्शा ही बदल दिया। उसे हूबहू बंदे भारत एक्सप्रेस की शक्ल दे दी। इससे बड़ी बात कि स्कूल में क्वारंटीन इन प्रवासी श्रमिकों ने इस काम के एवज में फूटी कौड़ी भी नहीं ली।
बता दें कि कृष्णा सतना के जिगनहाट के मूल निवासी हैं। गांव के लोगों का कहना है कि कृष्णा को अपने गांव से बहुत लगाव है। अगर उन्हें गांव में ही काम मिल गया होता तो वह उसे छोड़ कर कभी कहीं और नहीं जाते। लेकिन मजबूरी उन्हें जम्मू ले गई थी। लेकिन कोरोना संकट में उन्हें लौटना पड़ा। वह भी मोटरसाइकिल से। कृष्णा ने जम्मू से जिगनहाट तक की यात्रा अपनी मोटरसाइकिल से तय की।
कृष्णा जैसे अन्य हुनरमंद लोगों को अब अपना गांव घर छोड़ कर फिर से कहीं परदेस न जाना पड़े, इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने पहल की है। सरकार ने शुक्रवार को ही आयोग का गठन कर दिया है जो ऐसे हुनरमंद लोगों को उनके स्किल को पहचान कर उसके मुताबिक काम देगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हम ऐसी कोशिश करेंगे कि हमारे लोगों को काम के लिए बाहर न जाना पड़े।