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सतना-पन्ना रेल लाइन: मुआवजे में जितना भाव मिला उतने में कहां मिलेगी नई जमीन!

locationसतनाPublished: Jan 28, 2018 05:48:27 pm

Submitted by:

suresh mishra

भू-अर्जन के बाद प्रभावित गांवों में सिर्फ यही सवाल, किसानों की जमीन का बकायदा सर्वे कर अवार्ड हुआ, मुआवजा राशि दी गई।

lalitpur-singrauli railway line project Satna-panna railway line

lalitpur-singrauli railway line project Satna-panna railway line

विनय गौतम @ सतना। 74 किमी. सतना-पन्ना रेल लाइन के लिए पन्ना जिले के गांवों में भू-अर्जन के बाद किसानों को कल की चिंता सता रही है। किसानों की जमीन का बकायदा सर्वे कर अवार्ड हुआ, मुआवजा राशि दी गई। बावजूद किसानों के सामने कई सवाल खड़े हैं। फुलवारी पंचायत में फुलदरी, पिपरिया व फुलवारी में करीब सवा सौ किसानों की जमीन रेल लाइन बनाने के लिए ली गई है। जिन लोगों की जमीनें अर्जित की गई हैं उनका मूल व पुस्तैनी पेशा खेती ही रहा है।
पूरी जमीन अधिग्रहीत

यही वजह है कि खेत के बदले लाखों रुपए पाने के बावजूद इनके चेहरे मुरझाए हुए हैं। पंचायत में आधा दर्जन एेसे किसान भी हैं जिनकी पूरी जमीन रेललाइन व स्टेशन के लिए अधिग्रहीत की गई है। इनकी परेशानी यह है कि जमीन के बदले जितना मुआवजा हाथ लगा है उतने में गांव या आसपास कहीं भी जमीनें नहीं मिलेंगी। जेब में रकम होने के बावजूद मनचाही जमीन नहीं खरीद सकते।
दूसरी जमीन कहां मिलेगी?

पत्रिका ने फुलदरी, पिपरिया व फुलवारी गांव के जितने भी प्रभावित किसानों से बात की, सभी ने बताया कि वे जमीन के पैसों से जमीन ही खरीदना चाह रहे हैं, लेकिन पहले जैसे उपजाऊ खेत आसानी से नहीं मिलेंगे। सरपंच द्वारिकेंद्र बागरी कहते हैं, पंचायत में 20 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन अर्जित की गई है। अब पैसे देने के बावजूद किसानों को दूसरी जमीन कहां मिलेगी? यही हाल बगल के गांव भिलसया व दुबहिया के प्रभावित किसानों का है।
हर खेत में कौन कराता है बोर
फुलदरी, पिपरिया व फुलवारी गांव में जिन 122 किसानों की जमीनें रेललाइन के लिए ली गई हैं, सभी में खेती की जाती है। किसानों का कहना है कि इस क्षेत्र में पानी का स्तर बहुत ऊपर है। लिहाजा, दो-तीन खेत के बीच में सिर्फ एक बोर होता है। किसान द्वारिकेंद्र बागरी, गुलाब सिंह बागरी के अनुसार हर खेत में बोर कराना संभव नहीं होता। यही सबसे बड़ा घाटे का सौदा हो गया।
भू-अर्जन की प्रक्रिया में सिंचित जमीन नहीं मानी

इनके अनुसार जिस खेत में बोर नहीं होता वह भू-अर्जन की प्रक्रिया में सिंचित जमीन नहीं मानी जाती। इसके चलते जमीन सिंचित होते हुए भी 8 लाख प्रति एकड़ की बजाय 3 लाख 83 हजार के हिसाब से असिंचित का मुआवजा बना। किसानों ने बताया कि फुलवारी में करीब साढ़े 12 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई है। इसमें 2 बोर व सिर्फ एक कुआं ही सर्वे में आ पाए।
किसे और कब मिलेगी नौकरी
गांवों में भू-अर्जन के बाद अवार्ड पारित कर मुआवजा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रभावित किसानों को अब रेलवे की नौकरी फिक्र है। फुलवारी पंचायत के फुलवारी, फुलदरी व पिपरिया के जिन किसानों की जमीनें रेललाइन के लिए अर्जित की गई हैं, उनके परिजन नौकरी के लिए पूछताछ में जुट गए हैं। किसानों ने बताया कि उनकी उम्र नौकरी लायक रही नहीं और ज्यादातर के लड़के पढ़े-लिखे नहीं हैं। यदि पोते को नौकरी मिल जाएगी तो ठीक रहेगा।
नौकरी के बारे में किसी को कुछ पता नहीं

किसान केदारनाथ, गोलू बागरी ने बताया कि अभी तक रेलवे की नौकरी के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। कोई जानकारी नहीं मिलने से असमंजस की स्थिति है। प्रभावितों को यह तक नहीं बताया गया कि नौकरी के लिए क्या नियम हैं? रेलवे में नौकरी के लिए कौन पात्र होगा। उक्त गांव के किसानों के परिजन रोजाना पन्ना कलेक्ट्रेट व एसडीएम कार्यालय नौकरी की पूछताछ के लिए जाते हैं, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिलती।
किसानों का दर्द
– फुलवारी गांव के गुलाब सिंह बागरी व इनके भाइयों को मिलाकर पूरी 13 एकड़ जमीन रेलवे लाइन व स्टेशन के लिए अधिग्रहीत की गई है। इनका आरोप है कि पहले सिंचित की नोटिस दी गई, बाद में आधी जमीन का असिंचित कृषि के हिसाब से प्रति एकड़ 3 लाख 83 हजार मुआवजा दिया गया। इनके अनुसार इनकी पूरी जमीन सिंचित है।
– फुलवारी गांव में एेसे पांच किसान हैं जिनकी पूरी जमीन रेलवे लाइन के भू-अर्जन में चली गई। द्वारिकेंद्र, देशराज व रामराज बागरी का दावा है कि सड़क से लगी जमीन का प्राइवेट मूल्य 6 से 7 लाख प्रति एकड़ है, लेकिन रेलवे के लिए पूरी जमीन साढ़े तीन लाख के भाव से चली गई। इनके अनुसार गुनौर विधानसभा के विधायक से लेकर रेलमंत्री तक से गुहार लगाई, लेकिन कोई नहीं सुन रहा।
– गोलू बागरी के दादा केदारनाथ बागरी के नाम जमीन थी। 2 हेक्टेयर करीब 7 एकड़ जमीन रेल लाइन में गई। 50 लाख मुआवजा मिला, लेकिन नौकरी को लेकर बहुत असमंजस है। कहते हैं कि कहीं कोई जानकारी नहीं दे रहा। भू-अर्जन के दौरान नोटिस पर नोटिस चस्पा की गई थीं लेकिन रेलवे में नौकरी के लिए कोई नोटिस अभी तक नहीं लगी।
– ठाकुर प्रसाद बागरी की फुलदरी हार में 4 आरए जमीन गई है। पूरी जमीन का सिंचित रेट के आधार पर मुआवजा मिला है लेकिन खेत जाने का बहुत दुख है। इनके अनुसार यदि मुआजवा राशि से कोई उपजाऊ जमीन नहीं मिली तो आगे संकट खड़ा हो सकता है।
– गुलाब बाई के पास 6 एकड़ जमीन थी जो इनके तीन लड़के दिनेश, बसंत व संतकुमार बागरी के बीच बांटी गई थी। रेललाइन में पूरी 6 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई है। जमीन पूरी सिंचित थी। लिहाजा करीब 8 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिला। करीब 50 लाख का मुआवजे के बाद इनके परिवार में कोई खुशी नहीं है। गुलाब बाई ने कहा कि पूरी उजाऊ जमीन हाथ से चली गई।
1. फुलवारी
प्रभावित किसान- 61
अर्जित रकबा- 12.550 हे.
सिंचित- 4.179
असिंचित- 8.371
अवार्ड पारित- 19201349.31 रुपए

2. भिलसाय
प्रभावित किसान- 02
अर्जित रकबा- 0.490 हे.
सिंचित- 00
असिंचित- 0.490
अवार्ड पारित- 518319.65 रुपए

3. दुबहिया
प्रभावित किसान- 20
अर्जित रकबा- 7.300 हे.
सिंचित- 6.220
असिंचित- 1.080
अवार्ड पारित- 13687017.86 रुपए
4. फुलदरी
प्रभावित किसान- 46
अर्जित रकबा-8.118 हे.
सिंचित- 0.190
असिंचित-7.001
अवार्ड पारित- 15026209.88 रुपए

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