हकीकत यह है कि आम व्यक्ति तक जानते हैं कि इस वाहन में शराब वितरित की जाती है। इसके बावजूद इन्हें पकडऩे की हिमाकत कोई अधिकारी नहीं कर पा रहा। आलम यह है कि आचार संहिता के दौरान भी आबकारी, पुलिस व उडऩदस्ता टीम की भूमिका संदिग्ध है। टीमें उतनी ही कार्रवाई कर रही हैं, जिससे रिपोर्ट भेजी जा सके।
ये वाहन चिह्नित
पूरे सोहावल क्षेत्र में सफेद रंग की बोलेरो से शराब की पैकारी होती है। इस पर जय भवानी लिखा हुआ है। इसे देख अवैध कारोबारी समझ जाते हैं कि शराब आ रही है। यह वाहन एक देसी शराब दुकानदार का है। जैतवारा क्षेत्र में सफेद रंग की मार्शल से शराब भेजी जाती है। इससे कोठी तक शराब पहुंचाई जा रही है। स्थानीय ढाबों में अंग्रेजी शराब पहुंचाने का काम किया जाता है। पूरे कोठी में एक भी अंग्रेजी शराब का लाइसेंसी ठेका नहीं है। नागौद में नीले रंग की मारूति 800 से शराब की पैकारी होती है। इसी तरह रामनगर और अमरपाटन क्षेत्र में सफेद रंग की बोलेरो से शराब भेजी जाती है।
पूरे सोहावल क्षेत्र में सफेद रंग की बोलेरो से शराब की पैकारी होती है। इस पर जय भवानी लिखा हुआ है। इसे देख अवैध कारोबारी समझ जाते हैं कि शराब आ रही है। यह वाहन एक देसी शराब दुकानदार का है। जैतवारा क्षेत्र में सफेद रंग की मार्शल से शराब भेजी जाती है। इससे कोठी तक शराब पहुंचाई जा रही है। स्थानीय ढाबों में अंग्रेजी शराब पहुंचाने का काम किया जाता है। पूरे कोठी में एक भी अंग्रेजी शराब का लाइसेंसी ठेका नहीं है। नागौद में नीले रंग की मारूति 800 से शराब की पैकारी होती है। इसी तरह रामनगर और अमरपाटन क्षेत्र में सफेद रंग की बोलेरो से शराब भेजी जाती है।
बिना बैच नंबर की शराब
इन दिनों आचार संहिता लगी हुई है। शुरुआती दौर में अवैध कारोबारी ठीहों पर शराब भेजते रहे पर उडऩदस्ता द्वारा कार्रवाई के दौरान शराब के बैच नंबर भी एफआइआर में दर्ज करा दिया गया। इसके बाद से अवैध कारोबारियों ने रणनीति बदल दी है। अब वे बिना बैच नंबर की शराब ठीहों तक पहुंचा रहे हैं। इससे उनकी गर्दन नहीं फंसती। दूसरी ओर शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
इन दिनों आचार संहिता लगी हुई है। शुरुआती दौर में अवैध कारोबारी ठीहों पर शराब भेजते रहे पर उडऩदस्ता द्वारा कार्रवाई के दौरान शराब के बैच नंबर भी एफआइआर में दर्ज करा दिया गया। इसके बाद से अवैध कारोबारियों ने रणनीति बदल दी है। अब वे बिना बैच नंबर की शराब ठीहों तक पहुंचा रहे हैं। इससे उनकी गर्दन नहीं फंसती। दूसरी ओर शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ठेका एक, ठीहे अनेक
पूरे जिले में 72 शराब दुकानों को लाइसेंस मिला हुआ है। वहां से शराब बेची जाती है। लेकिन, हकीकत यह है कि इन 72 दुकानों के अलावा 5 सैकड़ा से ज्यादा ठीहे हैं, जहां हर ब्रांड की शराब आसानी से उपलब्ध होती है। इन ठीहों पर लाइसेंसी ठेकेदार ही शराब पहुंचा रहे हैं। आबकारी व पुलिस विभाग के संज्ञान में पूरा मामला है। उसके बाद भी इन ठीहों पर कार्रवाई नहीं होती है।
पूरे जिले में 72 शराब दुकानों को लाइसेंस मिला हुआ है। वहां से शराब बेची जाती है। लेकिन, हकीकत यह है कि इन 72 दुकानों के अलावा 5 सैकड़ा से ज्यादा ठीहे हैं, जहां हर ब्रांड की शराब आसानी से उपलब्ध होती है। इन ठीहों पर लाइसेंसी ठेकेदार ही शराब पहुंचा रहे हैं। आबकारी व पुलिस विभाग के संज्ञान में पूरा मामला है। उसके बाद भी इन ठीहों पर कार्रवाई नहीं होती है।