लिहाजा उन्हें बुलाया गया। जब वे पहुंचे तो हीरा चुनाव चिह्न के लिए अड़ गए। तब उन्हें समझाया गया और आयोग के निर्देश दिखाए गए। इसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से खाने से भरी थाली चुनाव चिह्न लिया। निर्दलीय नासिर खान और बाबूलाल चौधरी ने जो चुनाव चिह्न चाहे थे वे तीनों एक समान हो गए। दोनों ने चाबी और ऑटो की मांग की थी। इस पर रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा कि या तो आप लोग आपसी सहमति बना लें या फिर लॉटरी निकाली जाएगी। इस पर दोनों प्रत्याशियों ने आपसी सहमति बना ली। नासिर ने चाबी और बाबूलाल ने ऑटो पर सहमति का आवेदन दिया। इस पर उन्हें उनके मनमाफिक चुनाव चिह्न प्रदान कर दिए गए।
फौजी को पसंद आया कम्प्यूटर
एक अभ्यर्थी फौजी संदीप बाबा ने फार्म में किसी भी चुनाव चिह्न का उल्लेख नहीं किया था। इस पर रिटर्निंग अधिकारी ने उन्हें शेष रह गए सभी चुनाव चिह्न पढ़ कर सुनाए। जब उन्होंने चुनाव चिह्न चप्पल का जिक्र किया तो यहां बैठे लोगों में ठहाके गूंजे। अंत में फौजी ने कम्प्यूटर को पसंद किया।