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पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ घटे तो छिना टाइगर स्टेट का दर्जा और बढ़े तो फिर मिला ताज

locationसतनाPublished: Jul 30, 2019 11:46:07 am

Submitted by:

suresh mishra

– पन्ना टाइगर रिजर्व में हैं 50 से अधिक बाघ – 13 साल बाद प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों ने निभाई अहम भूमिका- अब सुरक्षा और टकराव को रोकना बड़ी चुनौती

Madhya Pradesh ko mila Tiger State Ka Darja Highest Number Of Tiger MP

Madhya Pradesh ko mila Tiger State Ka Darja Highest Number Of Tiger MP

सतना। मप्र को 13 साल बाद टाइगर स्टेट का दर्जा मिला। प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छिनने और मिलने दोनों में पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों का अहम योगदान रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या घटने का सिलसिला 2006-07 के बाद शुरू हुआ और 2008 में यह आंकड़ा शून्य तक पहुंच गया। तब तक प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा भी छिन चुका था, अब पन्ना टाइगर रिजर्व में इतिहास के सबसे अधिक 50 से अधिक बाघ हैं तो प्रदेश को फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया। प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में जश्न का माहौल है। सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गणना के आंकड़े जारी किए जाने के साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व में खुशियां मनाई जाने लगीं। अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक दूसरे को मिटाई खिलाकर शुभकामनाएं दी।
2008 के अंत तक बाघों की संख्या घटकर शून्य

गौरतलब है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्ष 2002 से 2008 तक यहां बाघों की संख्या 32 रही है। इसके बाद यहां शिकार की घटनाओं के बढऩे डकैतों की सक्रियता के चलते धीरे-धीरे बाघों की संख्या घटती गई। यहां अंतरराष्ट्रीय वन्यप्राणी तस्कर संसारचंद से तार जुड़े होने की बात भी सामने आई थी। यही कारण था कि वर्ष 2008 के अंत तक यहां बाघों की संख्या घटकर शून्य हो गई। यही कारण था कि वर्ष 2010 की गणना के बाद प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छिन गया था। इसके बाद अब पन्ना में बाघों का संसार दोबारा आबाद होने के साथ ही इतिहास के अपने सबसे उच्चतम 52 के पार पहुंच गई है। इसी के साथ ही प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जाभी मिल गया है। प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने को लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व में दिनभर जश्न का माहौल रहा है। लोग एक दूसरे को बधाईयां देते रहे।
80 से अधिक शावकों का हुआ जन्म
वन्य प्राणी विशेषज्ञ हनुमंत प्रताप सिंह ने बताया कि बाघ पुनस्र्थापन योजना शुरू होने के बाद पन्ना में 80 से अधिक शावक जन्मे हैं। जिनमें से पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 50 से अधिक पहुंच गई है, जबकि पन्ना लैंड स्केप में बाघों की संख्या 65 से 70 होने का अनुमान है। उन्होंने कहा पन्ना की बाघ पुनस्थापन योजना दुनिया की सबसे सफलतम योजना है। दुनिया में कहीं भी बाघों के पुनस्र्थापन की योजना इतनी सफल नहीं रही है। कंबोडिया में टाइगर कंजर्वेशन का प्लान पन्ना की योजना की सफलता के आधार पर ही शुरू किया गया है। कंबोडिया के विशेषज्ञों का दल यहां सीखने के लिए आया हुआ था।
सुरक्षा व टकराव रोकने की बड़ी जिम्मेदारी
पन्ना में बाघों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के साथ ही टाइगर रिजर्व प्रबंधन के सामने नई चुनौतियां भी है। पन्ना के रोज जोन में बाघों के लिए अब स्थान नहीं बचा है। इससे बाघ बफर और रेगुरल फारेस्ट की ओर निकल रहे हैं। यही कारण है कि पन्ना-अमानगंज और पन्ना-छतरपुर मार्ग में आए दिन बाघों की दर्शन हो रहे हैं। बाघों के बढऩे के साथ उनकी सुरक्षा टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अलावा बाघ और मानव के बीच टकराव के हालात रोकने के लिए भी विशेष प्रयास करने होंगे।
यहां 100 बाघों को रखा जा सकता है

वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि पन्ना में अच्छा जंगल है। बफर जोन कोर की तहर ही सुरक्षित करके यहां 100 बाघों को रखा जा सकता है। पार्क प्रबंधन को इस संबंध में दीर्घकालीन योजना बनाने की जरूरत है। हालांकि पन्ना टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि जिस प्रकार से हमने अभी तक चुनौतियों को स्वीकार किया और उनमें सफलता पाई है उसी प्रकार से आगामी चुनौतियों को भी स्वीकारा जाएगा। पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों में इतनी क्षमता है कि वे हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
आठ वर्ष बाद मिली मूल पहचान
संजय दुबरी टाइगर रिजर्व को अधिसूचना जारी होने के आठ वर्ष बाद आफीशियल लोगो मिला है। इसमें सफेद बाघ का इसमें सफेद बाघ का मुखपृष्ट व संजय टाइगर रिजर्व मेें बहुतायत में पाए जाने वाले साल (पौधे की प्रजाति) के वनों को प्रदर्शित करती साल की पत्तियों के साथ ही यहां से बहने वाली 11 प्रमुख नदियों को प्रदर्शित करती 11 लाइनें शामिल की गई हैं।
संजय टाइगर रिजर्व का आफीशियल लोगो जारी

सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर सीएम कमलनाथ ने भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में इसे लांच किया। अब तक संजय टाइगर रिजर्व द्वारा जिस लोगो को विभागीय रिकार्डों में उपयोग किया जा रहा था। उस पर कैमरा ट्रैप में मादा बाघ की शावक के साथ कैद की गई पहली फोटो अंकित की गई थी। शासन ने करीब आठ साल बाद संजय टाइगर रिजर्व का आफीशियल लोगो जारी किया है।
स्टॉफ का समर्पण
पन्ना के पूरे स्टॉफ ने बाघ पुनस्र्थापना में पूरे समर्पण से काम किया। खुद के खिलाफ कार्रवाई करने से भी अधिकारी पीछे नहीं हटे। अवैध कामों लिप्त पाए जाने पर एक रेंजर और चार फॉरेस्ट गाड्र्स को जेल की हवा भी खानी पड़ी।
प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व की अहम भूमिका रही है। इसके लिए पार्क प्रबंधन बधाई का पात्र है। आगामी चुनौतियों की ओर भी ध्यान देना होगा। पन्ना जिले में अच्छा जंगल है। इसे संरक्षित करके 100 बाघों को यहां रखा जा सकता है। इस दिशा में दीर्घकालीन योजना बनाए जाने की जरूरत है। बाघ पुनस्र्थापन योजना की सफलता का श्रेय तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर. श्रीनिवास मूर्तिको जाता है।
हनुमंत प्रताप सिंह, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट
प्रदेश की इस उपलब्धि में पन्ना टाइगर रिजर्व का भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए सभी अधिकारी और कर्मचारी बधाई के पात्र हैं। आगे की चुनौतियों का भी डटकर मुकाबला करेंगे।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व
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