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महर्षि कश्यप ऋषि की शोभा यात्रा का जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत

locationसतनाPublished: Sep 15, 2018 03:41:30 pm

Submitted by:

Rajesh Sharma

महर्षि कश्यप ऋ षि जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई, कश्यप ऋषि प्राचीन वैदिक ऋषियों में प्रमुख ऋषि थे

Maharishi Kashyap Rishi Celebration in satna

Maharishi Kashyap Rishi Celebration in satna

कश्यप ऋ षि प्राचीन वैदिक ॠ षियों में प्रमुख ॠ षि- महर्षि कश्यप ऋ षि की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गईफोटो नं.-सतना. श्री वैश्य परिषद द्वारा महर्षि कश्यप ऋ षि जयंती पर डॉ. बीएल गुप्ता ने कहा कि कश्यप ऋ षि प्राचीन वैदिक ॠषियों में प्रमुख ॠ षि हैं जिनका उल्लेख एक बार ॠ ग्वेद में हुआ है। अन्य संहिताओं में भी यह नाम बहुप्रयुक्त है। इन्हें सर्वदा धार्मिक एंव रहस्यात्मक चरित्र वाला बतलाया गया है एवं अति प्राचीन कहा गया है। ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार उन्होंने श्विकर्म भौवनश् नामक राजा का अभिषेक कराया था। ऐतरेय ब्राह्मणों ने कश्यपों का सम्बन्ध जनमेजय से बताया गया है। शतपथ ब्राह्मण में प्रजापति को कश्यप कहा गया है।मंचीय कार्यक्रम के पहले सुबह 5 बजे से प्रभात फेरी 11 बजे से युवा वैश्य परिषद द्वारा वाहन रैली निकाली गई। वाहन रैली शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पानी की टंकी के पास कश्यप चौक में सम्पन्न हुई जंहा रैली का अभूतपूर्व स्वागत किया गया। कश्यप जी की पूजा अर्चना पूज्य पुरोहितों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ बीएल गुप्ता, विशिष्ट अतिथि खरे केसरवानी की राष्ट्रीय अध्यक्ष तीर्थप्रसाद गुप्ता, कार्यक्रम के संयोजक केसरी गुप्ता, हरिओम गुप्ता , कुबेर गुप्ता, रामाधार गुप्ता, गंगा प्रसाद गुप्ता, अशोक गुप्ता, निधिगोपाल गुप्ता कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश गुप्ता और संचालन विनोद गुप्ता ने किया। तीर्थ प्रसाद गुप्ता ने वैश्य समाज को संबोधित करते हुए कहा कि महाभारत एवं पुराणों में असुरों की उत्पत्ति एवं वंशावली के वर्णन में कहा गया है की ब्रह्मा के छ: मानस पुत्रों में से एक श्मरीचिश् थे जिन्होंने अपनी इच्छा से कश्यप नामक प्रजापति पुत्र उत्पन्न किया। कश्यप ने दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया। दक्ष की इन पुत्रियों से जो सन्तान उत्पन्न हुई एक बार समस्त पृथ्वी पर विजय प्राप्त कर परशुराम ने वह कश्यप मुनि को दान कर दी। कश्यप मुनि ने कहा.अब तुम मेरे देश में मत रहो। अत: गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम ने रात को पृथ्वी पर न रहने का संकल्प किया। वे प्रति रात्रि में मन के समान तीव्र गमनशक्ति से महेंद्र पर्वत पर जाने लगे।शोभा यात्रा का हुआ स्वागत : शोभायात्रा का शहर भ्रमण के दौरान भव्य स्वागत हुआ। शोभा यात्रा कश्यप चौक से प्रारंभ होकर बांस नाका, ईदगाह चौक, नव दुर्गा चौक, जवाहर चौक, लालता चौक, हनुमान चोक, पुराना पावर हाउस चौक, हॉस्पिटल चौक, पन्नीलाल चौक, बिहारी चौक होते हुए जयस्तम्भ चौक, सुभाष पार्क रामदरवार में शोभायात्रा सम्पन्न हुई। शोभायात्रा जंहा-जंहा से निकली वहां- वहां समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया । सोनी समाज अध्यक्ष अमित सोनी द्वारा बांस नाका में स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। जवाहर चौक में खरे केसरवानी समाज के द्वारा जंहा भी वैश्य समाज के लोगो के घर पड़े उनके द्वार पर रंगोली से सजाया गया। कश्यप ऋ षि की मूर्ति लतायों की बेल से लिपटी होने के कारण अत्यन्त शोभायमान हो रही थी । इस अवसर में ओमप्रकाश गुप्ता , युवा वैश्य परिसद अध्यक्ष राजेश गुप्ता, मनोज गुप्ता, जगदीश गुप्ता, लालजी गुप्ता, जयप्रताप गुप्ता, बालकृष्ण गुप्ता, वरिष्ट पार्षद श्याम लाल गुप्ता, अनिल गुप्ता, कमलेश गुप्ता, दुर्गेश गुप्ता, रामनरेंद्र गुप्ता, सविता गुप्ता, कौशिल्या गुप्ता, किरण गुप्ता, तारा गुप्ता सहित वैश्य समाज के लोग परिवार सहित शोभायात्रा में शामिल रहे।
सतना। श्री वैश्य परिषद द्वारा महर्षि कश्यप ऋ षि जयंती पर डॉ. बीएल गुप्ता ने कहा कि कश्यप ऋ षि प्राचीन वैदिक ऋषियों में प्रमुख ऋषि हैं जिनका उल्लेख एक बार ऋग्वेद में हुआ है। अन्य संहिताओं में भी यह नाम बहुप्रयुक्त है। इन्हें सर्वदा धार्मिक एंव रहस्यात्मक चरित्र वाला बतलाया गया है एवं अति प्राचीन कहा गया है। ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार उन्होंने विश्वकर्म भौवनश नामक राजा का अभिषेक कराया था। ऐतरेय ब्राह्मणों ने कश्यपों का सम्बन्ध जनमेजय से बताया गया है। शतपथ ब्राह्मण में प्रजापति को कश्यप कहा गया है।मंचीय कार्यक्रम के पहले सुबह 5 बजे से प्रभात फेरी 11 बजे से युवा वैश्य परिषद द्वारा वाहन रैली निकाली गई। वाहन रैली शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पानी की टंकी के पास कश्यप चौक में सम्पन्न हुई जंहा रैली का अभूतपूर्व स्वागत किया गया। कश्यप जी की पूजा अर्चना पूज्य पुरोहितों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ बीएल गुप्ता, विशिष्ट अतिथि खरे केसरवानी की राष्ट्रीय अध्यक्ष तीर्थप्रसाद गुप्ता, कार्यक्रम के संयोजक केसरी गुप्ता, हरिओम गुप्ता , कुबेर गुप्ता रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश गुप्ता और संचालन विनोद गुप्ता ने किया।
कश्यप ऋषि प्राचीन वैदिक ऋषियों में प्रमुख ऋषि थे
तीर्थ प्रसाद गुप्ता ने वैश्य समाज को संबोधित करते हुए कहा कि महाभारत एवं पुराणों में असुरों की उत्पत्ति एवं वंशावली के वर्णन में कहा गया है की ब्रह्मा के छ: मानस पुत्रों में से एक श्मरीचिश थे जिन्होंने अपनी इच्छा से कश्यप नामक प्रजापति पुत्र उत्पन्न किया। कश्यप ने दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया। दक्ष की इन पुत्रियों से जो सन्तान उत्पन्न हुई एक बार समस्त पृथ्वी पर विजय प्राप्त कर परशुराम ने वह कश्यप मुनि को दान कर दी। कश्यप मुनि ने कहा अब तुम मेरे देश में मत रहो। अत: गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम ने रात को पृथ्वी पर न रहने का संकल्प किया। वे प्रति रात्रि में मन के समान तीव्र गमनशक्ति से महेंद्र पर्वत पर जाने लगे।
शोभा यात्रा का हुआ स्वागत
शोभायात्रा का शहर भ्रमण के दौरान भव्य स्वागत हुआ। शोभा यात्रा कश्यप चौक से प्रारंभ होकर बांस नाका, ईदगाह चौक, नव दुर्गा चौक, जवाहर चौक, लालता चौक, हनुमान चोक, पुराना पावर हाउस चौक, हॉस्पिटल चौक, पन्नीलाल चौक, बिहारी चौक होते हुए जयस्तम्भ चौक, सुभाष पार्क रामदरवार में शोभायात्रा सम्पन्न हुई। शोभायात्रा जहां से निकली वहां समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया । सोनी समाज अध्यक्ष अमित सोनी द्वारा बांस नाका में स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। जवाहर चौक में खरे केसरवानी समाज के द्वारा जंहा भी वैश्य समाज के लोगो के घर पड़े उनके द्वार पर रंगोली से सजाया गया। कश्यप ऋ षि की मूर्ति लतायों की बेल से लिपटी होने के कारण अत्यन्त शोभायमान हो रही थी।
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